इंदौर| मध्य प्रदेश के इंदौर में दक्षिण एशियाई देशों के संसद अध्यक्षों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शनिवार को शुरू हुआ। सम्मेलन के पहले दिन समावेशी और आर्थिक विकास के साथ गरीबी से लड़ने पर जोर दिया गया। इस सम्मेलन में पाकिस्तान के हिस्सा न लेने पर अफसोस जताया गया। सम्मेलन के दूसरे दिन रविवार को इंदौर घोषणा-पत्र जारी किया जाएगा। भारतीय संसद और इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (आईपीयू) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि विकास तब तक संभव और चिरस्थायी नहीं हो सकता, जब तक यह मानव कल्याण के लिए न हो।
उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति की कीमत पर होने वाला विकास चिरस्थाई नहीं होगा और इतिहास इस बात का गवाह है कि अपनी सभ्यता की ताकत के बल पर हमने कैसे आधुनिक चुनौतियों का भी डटकर सामना किया है।”
महाजन ने कहा, “सतत विकास लक्ष्यों से मानवजाति के विकास के लिए विश्वव्यापी प्राथमिकताएं निर्धारित हुई हैं और इनका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं के बीच संतुलन बनाना है। देशवासियों को हर हाल में इन्हें प्राथमिकता देते हुए अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को पाटने के लिए समावेशी और व्यापक आधार वाले आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।”
महाजन ने खुशहाली और शांति के लक्ष्यों को प्राप्त करने लिए मिलकर काम करने पर जोर देते हुए बताया कि संसार में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रति वर्ष अनुमानित व्यय लगभग पांच से सात ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिनमें से विकासशील देशों को प्रति वर्ष लगभग 3़ 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा कि भारत के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अगले 15 सालों में प्रति वर्ष लगभग 565 अरब डॉलर खर्च करने की योजना है, जिससे आने वाले समय में देश की विकास संबंधी प्राथमिकताओं को मूर्त रूप दिया जाएगा।
महाजन ने कहा कि भारत एक महात्वाकांक्षी व्यापक और समतावादी विकास का एजेंडा तैयार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर कार्य करने के लिए वचनबद्ध है, जिसमें गरीबी दूर करने को प्रमुखता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि लोगों और उनकी सरकार के बीच संपर्क सूत्र होने के नाते सांसद इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इससे पहले अंतर संसदीय संघ के अध्यक्ष साबिर चौधरी (बांग्लादेश) ने कहा कि दक्षिण एशिया के देशों के लिए सतत विकास लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यदि दक्षिण एशिया इन्हें प्राप्त करने में असफल रहता है तो सतत विकास लक्ष्य भी असफल हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि इस क्षेत्र के लगभग 31 प्रतिशत लोग गरीब हैं। इस पृष्ठभूमि में सांसदों को अपने देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
उन्होंने यह जानकारी भी दी कि श्रीलंका वर्ष 2018 में दक्षिण एशियाई देशों के अध्यक्षों के अगले शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए सहमत हो गया है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग और एकता से व्यापार के उदारीकरण, परिवहन संयोजन को सुदृढ़ करने और सीमा पार परिवहन और व्यापार को सुगम बनाने जैसे अनेक माध्यमों से दक्षिण एशिया में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय कार्यवाही को और मजबूत किया जा सकता है।
सम्मेलन में पाकिस्तान और म्यांमार शिरकत नहीं कर रहे हैं।
इस सम्मेलन में शिरकत करने वाले दक्षिण एशिया में गरीबी, विकास, पर्यावरण एवं लैंगिक मुद्दों सहित सतत विकास के उद्देश्यों को हासिल करने पर चर्चा कर रहे हैं, जहां दुनिया की कुल आबादी का 25 प्रतिशत लोग रहते हैं।
इस शिखर सम्मेलन में अंतर संसदीय संघ के अध्यक्ष साबिर चौधरी, अफगानिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर अब्दुल रऊफ इब्राहिम, बांग्लादेश की संसद की स्पीकर डॉ. शिरीन शर्मिन चौधरी, भूटान की नेशनल असेंबली के स्पीकर जिग्मे जांग्पो, भूटान की नेशनल काउंसिल के डिप्टी चेयरपर्सन, शेरिंग दोरजी, श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या, मालदीव की संसद के स्पीकर अब्दुल्ला मसीह मोहम्मद, नेपाल की संसद की अध्यक्ष ओनसारी घरती और इस सम्मेलन में भाग ले रहे देशों के संसद सदस्य शामिल हुए हैं। इससे पहले होटल रेडिसन ब्लू में महाजन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।