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स्टालिन द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त

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चेन्नई| द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने बुधवार को एम.के.स्टालिन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। स्टालिन पार्टी सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के बेटे हैं। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि चेन्नई स्थित पार्टी मुख्यालय में द्रमुक की आम परिषद की बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव पास किया गया। स्टालिन (63) के पास अध्यक्ष की सभी शक्तियां होंगी।

पार्टी अध्यक्ष एम. करुणानिधि का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण बैठक की अध्यक्षता पार्टी के महासचिव के. अन्बाझगन ने की थी।

स्टालिन इस नए पद के साथ ही पार्टी के कोषाध्यक्ष भी बने रहेंगे।

स्टालिन ने मीडिया से कहा, “कार्यकारी अध्यक्ष पद एक जिम्मेदारी है। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कार्य करूंगा।”

अन्नाद्रमुक की नेता जे. जयललिता की मृत्यु के करीब एक महीने बाद बुधवार को स्टालिन को यह जिम्मेदारी दी गई है। अन्नाद्रमुक ने लगातार 2011 और 2016 के विधानसभा चुनावों में द्रमुक को पराजित किया था।

चेन्नई के पूर्व महापौर रह चुके स्टालिन की इस पद पर पदोन्नति पहले हो गई होती यदि उनके बड़े भाई एम.के.अलागिरी ने इसका विरोध नहीं किया होता।

साल 2009 में जब द्रमुक तमिलनाडु की सत्ता में थी तो स्टालिन को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था, जिससे दूसरों को स्पष्ट संकेत दिया जा सके कि वह करुणानिधि के वारिस होंगे।

लेकिन, अलागिरी ने साफ कर दिया था कि वह किसी को अपने नेता के तौर पर स्वीकार नहीं करेंगे।

स्टालिन के लिए रास्ता तब साफ हो गया जब अलागिरी को साल 2014 लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के खिलाफ बोलने पर द्रमुक से निष्कासित कर दिया गया।

इसके बाद, देश के सबसे पुराने दलों में से एक द्रमुक पर स्टालिन की पकड़ और मजबूत हो गई।

करुणानिधि की खराब सेहत और चिकित्सकों द्वारा उन्हें आराम करने की सलाह की वजह से स्टालिन की पदोन्नति का फैसला करना पड़ा।

द्रमुक की स्थापना साल 1949 में सी.एन. अन्नादुरई ने की थी। द्रमुक साल 1967 में सत्ता में आई थी। अन्नादुरई पार्टी के पहले मुख्यमंत्री बने थे।

अन्नादुरई की मृत्यु 1969 में हुई। इसके बाद करुणानिधि तमिल फिल्मों के हीरो एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) के सहयोग और दूसरे नेताओं और विधानसभा के सदस्यों के समर्थन से उनके उत्तराधिकारी बने। एमजीआर उस समय द्रमुक में थे।

साल 1972 में करुणानिधि से मतभेद के बाद एजीआर को द्रमुक से बाहर कर दिया गया। इसके बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया और इसे 1977 में चुनावों में जीत हासिल हुई। इसके बाद द्रमुक 1989 तक तमिलनाडु की सत्ता से बाहर रही।

इसके बाद करुणानिधि पार्टी के सर्वेसर्वा हो गए और अपने बेटे स्टालिन को आगे बढ़ाना शुरू किया। पार्टी में दूसरी बार तेजतर्रार नेता वाइको की वजह से विभाजन हुआ। वाइको को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। वाइको ने बाद में एमडीएमके पार्टी बनाई।

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Dileep Kumar
the authorDileep Kumar