कानपुर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हाल ही में संदिग्ध आतंकवादी सैफुल्लाह के एटीएस से हुई मुठभेड़ मारे जाने पर उलेमा काउंसिल ने सवाल खड़े किए। सैफुल्लाह की मौत पर उसके पिता सरताज और भाई दानिश तो सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन उलेमा काउंसिल ने मुठभेड़ को फर्जी करार दिया।
उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी मदनी कानपुर पहुंचे। उन्होंने कहा, “सैफुल्लाह का एनकांउटर फर्जी है। आतंकी सैफुल्लाह नहीं, आतंकी सरकार है। पुलिस वालों ने सैफुल्लाह को घर के अंदर बंधक बना रखा था।”
मौलाना मदनी शुक्रवार को सैफुल्लाह और आतिफ के घर पहुंचे और उनके परिजनों से अलग-अलग बातचीत की। वह इमरान के घर पर भी गए, लेकिन वहां ताला लगा था।
इन मुलाकातों के बाद मौलाना मदनी ने मीडिया से कहा कि सैफुउल्लाह को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया है। वह आतंकी नहीं था। उन्होंने कहा, “फर्जी एनकाउंटर का मास्टरमाइंड एडीजी हैं, जो हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। वह आरएसएस और भाजपा के लिए काम कर रहे हैं।”
मदनी ने कहा, “पूरे मामले में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जावीद अहमद का कोई बयान नहीं आना अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है।” उन्होंने मांग की कि इस मुठभेड़ की सच्चाई सामने लाने के लिए मुठभेड़ के समय मौजूद पुलिसकर्मियों और एटीएस कर्मियों का नार्को टेस्ट कराया जाए। इससे पहले, रिहाई मंच भी मुठभेड़ पर सवाल उठा चुका है। उसने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।