सपा के रजत जयंती समारोह में छलका सभी का दर्द
लखनऊ। वैसे तो सपा की पच्चीसवीं सालगिरह भाजपा को उप्र की सत्ता में आने से रोकने के लिए महागठबंधन करने की एक कवायद थी लेकिन रजत जयंती समारोह समाजवादी कुनबे की कलह का गवाह बनकर रह गया। एक तरफ शिवपाल का अखिलेश को लेकर गुस्सा सामने आया तो दूसरी तरफ अखिलेश ने भी अपने गुस्से का इजहार करने में कोई चूक नहीं की।
घटनाक्रम कुछ इस तरह हुआ कि सपा नेता जावेद आब्दी मुलायम और अखिलेश की तारीफ पर तारीफ झोंके जा रहे थे कि ‘नेताजी’ ने शिवपाल को बुलाया और कुछ कहा उसके बाद शिवपाल ने बोलते हुए जावेद आब्दी को धक्का देकर माइक से हटा दिया और फिर मंच से भी धकेल दिया।
इसके बाद अपना नंबर आने पर शिवपाल ने मंच से कहा किसी को विरासत में सबकुछ मिल जाता है और किसी को मेहनत करते रहने पर भी कुछ नहीं मिलता। शिवपाल ने अखिलेश पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि मुझे कितना भी बेहज्जत करो, कितनी बार भी बर्खास्त करो मैं पार्टी के लिए अपना खून भी दे सकता हूं।
शिवपाल यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि कुछ मंत्री चापलूसी के दम पर सरकार का फायदा उठा रहे हैं जबकि मेहनत करने और काम करने वाले मंत्रियो को कुछ नहीं मिला। शिवपाल ने यह भी जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि सबकुछ ‘नेताजी’ हैं और मैं उनके लिए कुछ भी कर सकता हूं। शिवपाल ने मंच से ही अखिलेश समर्थकों को नारेबाजी बंद करने के लिए फटकार भी लगाई।
अखिलेश का नंबर आने पर वो भी नहीं चूके और कहा कि कुछ लोग मेरे मर जाने के बाद ही समझेंगे। कहा कि इसको दूसरे शब्दों में कहूं तो कुछ लोग जब समाजवादी पार्टी खत्म हो जाएगी तभी समझेंगे। अखिलेश ने कहा कि नेताजी आपने और आपके प्रिय प्रजापति जी ने मुझे तलवार तो दे दी अब चाहते हैं कि मैं उसे न चलाउॅं यह कैसे हो सकता है।
लालू की बारी आई तो अपने अंदाज में उन्होंने अखिलेश को बुलाकर शिवपाल का पैर छुवाया और कहा कि परिवार एक है।