लखनऊ। मशहूर फिल्म निर्माता व निर्देशक मुजफ्फर अली लखीमपुर के कोटवारा राजघराने से संबंध रखते हैं। कोटवारा राजघराने और वन विभाग के बीच करीब दस एकड़ जमीन को लेकर विवाद वर्षों पुराना है। तीन साल पुराने इस विवाद की पूरी जानकारी देने के लिए आज मुजफ्फर अली ने राजधानी के एक होटल में प्रेस कांफ्रेंस किया।
मुजफ्फर अली ने कहा कि मैने राज्य सरकार से एक दरख्वास्त की थी कि वन विभाग के बेबुनियाद और तथ्यहीन पहुलओं पर एक जांच बैठा दी जाय।सरकार ने मुख्य वन संरक्षक ए.के. जैन की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया था जिसकी रिपोर्ट मेरे पक्ष में होने के कारण उसे दबा दिया गया।
अली ने कहा कि आरटीआई द्वारा मिली रिपोर्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि कोटवारा राजघराने के ऊपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद व तथ्यहीन हैं व हीनभावना से प्रेरित थे।
आरटीआई एक्टिविस्ट व अधिवक्ता सिद्धार्थ नारायण ने बताया कि आरटीआई से उजागर हुई सारी जानकारी मुजफ्फर अली की मां व मरहूम महारानी कनीज़ हैदर को वन विभाग द्वारा लगाए गए सारे आरोपों से बरी करती है।
मुजफ्फर अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने मुझ जैसे क्रियेटिव आदमी के तीन साल बर्बाद किए हैं इसके अलावा फिल्म निर्माण न कर पाने के कारण प्रदेश का भी आर्थिक नुकसान हुआ है। हालांकि इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश वन विभाग का पक्ष नहीं मिल पाया है।