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मरीज की मौत पर हंगामा, अस्पताल रकम लौटाने को तैयार

मरीज की मौत पर हंगामा, अस्पताल रकम लौटाने को तैयारमरीज की मौत

कोलकाता| पश्चिम बंगाल में सड़क दुर्घटना में घायल एक शख्स के परिजनों ने एक अस्पताल पर आरोप लगाया कि बिल न चुकाने पर मरीज को समय रहते दूसरे अस्पताल में शिफ्ट नहीं होने दिया गया, जिसके कारण मरीज की जान चली गई।

मरीज की मौत पर हंगामा, अस्पताल रकम लौटाने को तैयार
मरीज की मौत

वहीं, अस्पताल ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उसने मरीज के परिजनों से बिल के बदले सावधि जमा का प्रमाणपत्र नहीं मांगा और न ही संपत्ति के दस्तावेज मांगे। वह उनके द्वारा चुकाई गई रकम वापस लौटाने के लिए तैयार है।

हुगली जिले में दानकुनी के रहने वाले 30 वर्षीय संजय रॉय 16 फरवरी को सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। उन्हें अपोलो ग्लेनइगल्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

उन्हें गुरुवार शाम सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसी रात को उन्होंने दम तोड़ दिया। मरीज के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने पूरी फीस नहीं चुकाने के कारण मरीज को समय रहते सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित नहीं किया, जिसके कारण उनकी मौत हुई।

अस्पताल के मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) डॉ. जॉय बोस ने कहा, “मरीज को अस्पताल में 16 फरवरी को भर्ती कराया गया था। उनके महत्वपूर्ण अंगों-लिवर, फेफड़े तथा पेट में गंभीर चोटें थीं। हमने हर संभव इलाज मुहैया कराया। मरीज के परिजन उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराना चाहते थे।” उन्होंने कहा कि कुल 7.23 लाख रुपये का बिल था, जिसमें मरीज के घरवालों ने 4.33 लाख रुपये चुकाए।

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए अपोलो ग्लेनइगल्स अस्पताल को पैसा पीड़ित परिवार को लौटाने को कहा। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर निष्ठुरता का आरोप लगाते हुए कहा कि रॉय के परिजनों से बिल का पैसा नहीं देने पर संपत्ति दस्तावेज, गहने, सावधि जमा की मांग की गई। हालांकि बोस ने इन आरोपों से इनकार किया।

बोस ने कहा, “हमने कभी भी सावधि जमा या मकान के कागज जमा कराने को नहीं कहा। मरीज के परिजनों ने ही हमसे इन दस्तावेजों को जमा करने की पेशकश की थी।” बिल की राशि बढ़ने पर परिवार ने मरीज को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लिया था।

घटना के बाद तृणमूल नेता मदन मित्रा ने अस्पताल के मुख्य संचालन अधिकारी राणा दासगुप्ता को फोन कर अस्पताल से पीड़ित परिवार को फीस के तौर पर चुकाई गई पूरी राशि लौटाने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि इससे अस्पताल के ‘पाप’ धुल नहीं जाएंगे।

मित्रा ने अस्पताल को बंद करने की चेतावनी भी दी और कहा कि यह ‘मुर्दाघर’ बनता जा रहा है, जो बेहद दुर्भायपूर्ण है। उन्होंने कहा, “इससे पहले कि यह मुर्दाघर बन जाए, इस अस्पताल को बंद कर देना बेहतर है। अस्पताल की सीईओ रूपाली (बसु) से बता दें कि हमें अस्पताल को बंद कर खुशी होगी। हमारी कियोराताला श्मशान भूमि आपके अस्पताल से कहीं बेहतर है। क्या आप बंगाल के शासक हैं?”

बोस ने कहा, “मरीज को एसएसकेएम अस्पताल भेजने के दौरान हमने एंबुलेंस सहित चिकित्सा की तमाम सुविधाएं मुहैया कराईं। हमने यह सुनिश्चित किया था कि मरीज को वही लाइफ सपोर्ट मिले, जो अस्पताल में मुहैया कराई जा रही थी।”

बिल को वापस करने को लेकर बोस ने कहा, “हमें उनका (मित्रा) कॉल आया था और हम मानवीय आधार पर उनके द्वारा अदा की गई राशि उन्हें लौटाने को तैयार हैं।” इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शहर के निजी अस्पतालों की यह कहते हुए आलोचना की थी कि वे ‘अनैतिक ढंग से धन कमा रहे हैं।’

उन्होंने यह भी कहा था कि अधिक फीस वसूली की सर्वाधिक शिकायतें अपोलो अस्पताल के बारे में ही हैं। पीड़ित परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने चेक और सावधि जमा के प्रमाण-प्रत्र सौंपे तब निजी अस्पताल ने रॉय को एसएसकेएम अस्पताल ले जाने दिया।

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