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भूकंप के बाद इमारतें बताएंगी कितना नुकसान

भविष्य की इमारतें, भूकंप जैसी घटना, मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कंप्यूटेशनल मॉडल विकसित, प्रोफेसर ओरल बायुकोजतुर्कearthquake
भविष्य की इमारतें, भूकंप जैसी घटना, मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कंप्यूटेशनल मॉडल विकसित, प्रोफेसर ओरल बायुकोजतुर्क
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न्यूयॉर्क| भविष्य की इमारतें भूकंप जैसी घटनाओं के बाद नुकसान की जानकारी देने में पर्याप्त कुशल होंगी। इसके लिए मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने एक नया कंप्यूटेशनल मॉडल विकसित किया है। इससे किसी इमारत के उस दौरान नुकसान या यांत्रिक तनाव के संकेतों की निगरानी की जा सकती है। एमआईटी के सिविल और इनवायमेंटल इंजीनियरिंग (सीईई) के प्रोफेसर ओरल बायुकोजतुर्क ने कहा, “व्यापक आशय है कि भूकंप जैसी घटनाओं के बाद हमें इसके विशेषताओं में जल्द बदलाव दिखाई देगा और हमें यह पता चल सकेगा कि कहां और क्या व्यवस्था में नुकसान हुआ है।”

बायुकोजतुर्क ने कहा, “इसके लिए सतत निगरानी और डाटाबेस बनाया जाएगा जो इमारत की एक स्वास्थ्य किताब की तरह होगा, जैसे एक समय के बाद व्यक्तियों के रक्तचाप में बदलाव होता है।”

दल ने इस कंप्यूटेशनल मॉडल का परीक्षण एमआईटी के ग्रीन बिल्डिंग पर किया है। यह 21 मंजिली इमारत पूरी तरह से कंक्रीट की बनी हुई है। इस अध्ययन के परिणाम का प्रकाशन ऑनलाइन पत्रिका ‘मेकेनिकल सिस्टम्स एंड सिग्नल प्रोसेसिंग’ में किया गया है।

साल 2010 में एमआईटी के शोधकर्ताओं ने अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वेक्षण के साथ इमारत की सामग्री पर साथ काम किया। इसमें 36 एसीलेरोमीटर पर काम किए गए। इसमें इमारत की नींव से लेकर छत तक के चयनित तलों की गति और कंपन को रिकॉर्ड किया गया।

एक इमारत के चारों तरफ की तरंगों की ज्यादा सही भविष्यवाणी के लिए समूह ने ग्रीन बिल्डिंग एसीलेरोमीटर्स के आकड़ों को लिया। इसमें इसकी मुख्य विशेषताओं को देखा गया जो किसी इमारत की कठोरता या स्वास्थ्य के दूसरे संकेतों से संबंध रखते हैं।

बायुकोजतुर्क ने कहा, “हम लगातार अपने कंप्यूटेशनल सिस्टम को समय और आकड़े के साथ ज्यादा कुशल बना रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि यदि इमारत में कोई नुकसान होगा तो यह हमारे प्रणाली में दिखेगा।”

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