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बीजिंग ओलम्पिक के बाद ही पेशेवर बनने का मन बना लिया था : जीतेंद्र

बीजिंग ओलम्पिक-2008, मुक्केबाज जीतेंद्र कुमार, पेशेवर मुक्केबाजी, आईओएसJitender Kumar boxer
बीजिंग ओलम्पिक-2008, मुक्केबाज जीतेंद्र कुमार, पेशेवर मुक्केबाजी, आईओएस
Jitender Kumar boxer

नई दिल्ली| बीजिंग ओलम्पिक-2008 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले मुक्केबाज जीतेंद्र कुमार का कहना है कि उन्होंने उसी साल पेशेवर मुक्केबाजी में आने का निश्चय कर लिया था।

आईओएस ने पेशेवर मुक्केबाजी के लिए जीतेंद्र और अखिल कुमार के साथ शनिवार को करार किया। इस करार के तहत एक अप्रैल को मुंबई में होने वाली पेशेवर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में दोनों मुक्केबाजों को को काफी समय बाद रिंग में उतरते देखा जाएगा।

पेशेवर मुक्केबाजी में आने के कारण के बारे में जीतेंद्र ने कहा, “2008 ओलम्पिक खेलों में मुक्केबाजी स्पर्धा में हार के बाद मैंने ठान लिया था कि मुझे पेशेवर मुक्केबाजी में जाना है। इस बारे में मैंने अखिल से भी बात की थी।”

राष्ट्रमंडल खेलों-2006 में फ्लाइवेट वर्ग में कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय मुक्केबाज जीतेंद्र ने कहा, “ओलम्पिक से पहले भी मैं ब्रिटेन के पेशेवर मुक्केबाज नसीम हामिद के मुकाबले देखता था। वह एक अच्छे पेशेवर मुक्केबाज हैं और इन्हीं मुक्केबाजों को देखकर मैंने सोचा था कि मैं भी एक दिन पेशेवर मुक्केबाजी में जाऊंगा।”

जीतेंद्र ने कहा कि आईओएस ने अब इस लक्ष्य को हासिल करने का मौका दिया और वह इसे गंवाना नहीं चाहते। उन्होंने यह भी कहा कि वह विश्व मुक्केबाजी श्रृंखला (डब्ल्यूएसबी) के लिए खेले हैं और इस कारण उन्हें पेशेवर मुक्केबाजी अच्छी लगती है।

पेशेवर मुक्केबाजी में आने के पीछे भारत के स्टार पेशेवर मुक्केबाज विजेंदर सिंह से प्रोत्साहन के बारे में जीतेंद्र ने कहा, “विजेंदर अच्छा कर रहे हैं, लेकिन मुझे पेशेवर मुक्केबाजी में आने की प्रेरणा अखिल कुमार से मिली है।”

उल्लेखनीय है कि भारत को दिसम्बर, 2012 में तत्कालीन भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के लिए चयन में हेरफेर के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया था।

इस प्रतिबंध के कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के तहत खेलने का अवसर नहीं मिला। हालांकि, पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर मुक्केबाजी संघ (आईबा) ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को मान्यता दे दी।

इन घटनाओं के कारण पेशेवर मुक्केबाजी में आने के संशय के बारे में जीतेंद्र ने कहा, “आईओएस पेशेवर मुक्केबाजी की तैयारी कर रही है। इसमें युवा मुक्केबाजों के लिए अच्छे अवसर हैं। विदेशों में भी एमेच्योर मुक्केबाज जल्द ही पेशेवर मुक्केबाजी का हिस्सा बन जाते हैं और इससे उन्हें पहचान भी मिलती है।”

इस साल अप्रैल में होने वाली पेशेवर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में विजेंद्रर के अलावा अखिल और जीतेंद्र कुमार भी हिस्सा ले रहे हैं। इस प्रतियोगिता में भारत के ड्ब्ल्यूबीओ एशिया पेसेफिक मिडलवेट चैम्पियन विजेंदर का सामना डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट चैम्पियनशिप और चीन के मुक्केबाज जुल्पिकर मेमातियाली से होगा। हालांकि, अखिल और जीतेंद्र के प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानकारी मार्च के अंतिम सप्ताह में दी जाएगी।

मुंबई में एक अप्रैल को होने वाली इस प्रतियोगिता की तैयारियों के बारे में जीतेंद्र ने कहा, “मैंने पूरी तैयारी की है और इसमें मेरे साथ अखिल हैं और आईओएस कंपनी है। वैसे भी जहां अखिल साथ होते हैं, वहीं मुझे कोई चिंता नहीं होती। मेरे पास ओलम्पिक का अनुभव है।”

अखिल को अपना पथ प्रदर्शक और गुरू मानने वाले जीतेंद्र ने कहा, “आज मैं जो कुछ भी हूं, अखिल की वजह से हूं। 2000 से 2008 तक का सफर उन्हीं के साथ के कारण संभव हुआ। आज पेशेवर मुक्केबाजी में जाने का एक कारण अखिल भी हैं।”

जीतेंद्र को जब एक स्थिति दी गई कि किसी स्पर्धा में अगर उनका सामना अखिल से होता है, तो वह क्या करेंगे? ऐसे में उन्‍होंने एक वाक्या याद करते हुए कहा, “2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल के दौरान दोनों का वर्ग एक था और हम दोनों के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें मैंने पहले हाथ खड़े कर दिए थे। इसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों के लिए उन्हें चुना गया था।”

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