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पूरी भव्यता के साथ मनाया जाएगा प्रेम मंदिर का पांचवा वार्षिकोत्सव

वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर का पांचवा वार्षिकोत्सृव, जगद्गुरू कृपालु परिषत्, डा. विशाखा त्रिपाठीprem mandir vrindavan
वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर का पांचवा वार्षिकोत्सृव, जगद्गुरू कृपालु परिषत्, डा. विशाखा त्रिपाठी
prem mandir vrindavan

पूरे हर्षोल्‍लास से साथ मनाया जाएगा वार्षिकोत्‍सव

वृंदावन (मथुरा, उत्‍तरप्रदेश)। वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर का पांचवा वार्षिकोत्‍सव कल 22 फरवरी को मनाया जायेगा। कार्यक्रम की विस्‍तृत जानकारी देते हुए जगद्गुरू कृपालु परिषत् की अध्‍यक्षा डा. विशाखा त्रिपाठी ने बताय कि वार्षिकोत्‍सव के भव्‍य कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10.40 बजे श्रीकृष्‍ण और श्रीराधारानी जी के अभिषेक के साथ होगा। तत्‍पश्‍चात 11.15 बजे श्रीकृष्‍ण और श्रीराधारानी के भव्‍य मूर्तिरूप का दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे। 11.30 बजे भोग कार्यक्रम और 11.45 बजे आरती का कार्यक्रम होगा।

परिषत् के सचिव रामपुरी ने बताया कि सायं छह बजे से रात्रि 8.30 बजे तक रासलीला का आयोजन किया गया है। वार्षिकोत्‍सव के सभी कार्यक्रमों में भक्‍तों को बड़ी संख्‍या भाग लेने का आह्वान करते हुए रामपुरी ने कहा कि श्रीकृपालु जी महाराज द्वारा शुरू किए गए सभी कार्य चाहे वह समाजसेवा से संबंधित हों या अन्‍य कोई, परिषत् उसे उसी स्‍वरूप में करने का प्रयास करता है जिसकी अपेक्षा श्रीमहाराज जी करते थे।

बताते चलें कि श्रीकृष्ण का आधुनिक प्रेम मंदिर वृंदावन में अवस्थित है। इसका नजारा इतना अद्भुत है कि इसे देखकर कोई भी राधे-राधे कहे बिना नहीं रह सकता। इसकी अलौकिक छटा भक्तों का मन मोह लेती है। इसमें भक्त वैसे ही खिंचे चले आते हैं, जैसे कृष्ण अपनी लीलाओं से सबका मन मोह लिया करते थे। यहां की दीवारों पर हर तरफ राधा-कृष्ण की रासलीला वर्णित है।

54 एकड़ में फैला है मंदिर

जगद्गुरू कृपालु परिषत् की अध्‍यक्षा डा. विशाखा त्रिपाठी ने बताया कि प्रेम मंदिर मथुरा जि‍ले का आधुनिक और भव्य मंदिर है। वृंदावन में 54 एकड़ में बना यह प्रेम मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लंबा और 115 फुट चौड़ा है। यहां खूबसूरत बगीचे लगाए गए हैं। फव्वारे, श्रीकृष्ण और राधा की मनोहर झांकियां, श्रीगोवर्धन धारणलीला, कालिया नाग दमनलीला, झूलन लीलाएं बेहतर तरीके से दिखाई गई हैं।

94 कलामंडित स्तंभ

डा. विशाखा त्रिपाठी ने आगे बताया कि पूरे मंदिर में 94 कलामंडित स्तंभ हैं। इसमें किंकिरी और मंजरी सखियों के विग्रह दर्शाए गए हैं। गर्भगृह के अंदर और बाहर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प का नमूना दिखाते हुए नक्काशी की गई है। यहां संगमरमर की चिकनी स्लेटों पर ‘राधा गोविंद गीत’ के सरल दोहे लिखे गए हैं। इन्हें भक्त आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं।

जगतगुरु श्रीकृपालुजी महाराज ने की थी इसे बनाने की घोषणा

जगद्गुरू कृपालु परिषत् के सचिव रामपुरी ने बताया कि इस प्रेममंदिर को बनाने की घोषणा जगद्गुरु श्रीकृपालुजी महाराज ने वर्ष 2001 में की थी। इसके 11 साल बाद करीब 1000 मजदूरों ने अपनी कला का बेजोड़ नमूना पेश करते हुए 2012 में इसे तैयार कर दिया था।

प्रेम मंदिर में श्रीकृष्ण और राधारानी की भव्य मूर्तियां है। इसे जगद्गुरू श्रीकृपालुजी महाराज ने बनवाया था। मंदिर की देखरेख में लगे शंकर के मुताबिक, बाहर से देखने में यह जितना भव्य लगता है, उतना ही अंदर से भी देखने में लगता है। यह मंदिर सफेद इटालियन संगमरमर से बनाया गया है। इसमें प्राचीन भारतीय शिल्पकला की झलक भी देखी जा सकती है।

लीला देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं लोग

श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रेम मंदिर अद्भुत है। जिस तरह कृष्ण अपनी लीलाओं से सबका मन मोहते थे, वैसे ही मंदिर की रोशनी सबका मन मोह लेती है। बेंगलुरु से आई कृष्ण भक्त पूजा कहती हैं कि उन्होंने पहले इस मंदिर के बारे सुना था, लेकिन यहां आने के बाद इसकी खासियत पता चली? ऐसा लगता है जैसे वह स्वर्ग में पहुंच गई हैं।

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