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पीके को लेकर लखनऊ कांग्रेस कार्यालय में लगे पोस्टर

नई दिल्ली । पांच राज्यों में से चार राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस को अब अपने रणनीतिकार प्रशांत किशोर पीके का पता नहीं मालूम, ऐसा पार्टी के नेताओं ने ऐलान किया है। इतना ही नहीं यूपी में हार की जिम्मेदारी तो प्रशांत किशोर की है पर पंजाब में जीत सेहरा केवल कांग्रेस नेताओं के सिर बांधा गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार के अनुसार चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने कांग्रेस के लिए काम जरूर किया लेकिन पंजाब में कांग्रेस की जीत की वजह केवल पार्टी कार्य़कर्ता, मुख्यमंत्री अमरेंदर सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल ही है।

पार्टी बोली पीके के कारण हारे यूपी

उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस से पहले अन्य पार्टियों के लिए भी उन्होंने बेहतरीन काम किया लेकिन कांग्रेस न पहले उनका पता जानती थी न ही आज उनका पता जानती थी। हालांकि कार्य़कर्ता निराश है जिसकी वजह से उन्होंने ऐसा किया।

दरअसल उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद कांग्रेस कार्य़ालय के बाहर प्रशांत किशोर को खोजने वाले को पांच लाख का इनाम ऐलान करते हुए एक पोस्‍टर लगाये गये हैं। ये पोस्‍टर लखनऊ के स्‍थानीय नेता ने यूपी कार्य़ालय के बाहर लगवाया है। प्रशांत किशोर वहीं शख्‍स हैं जिसकी रणनीति में कांग्रेस ने यूपी में चुनाव लड़ा था।

हालांकि पोस्‍टर लगाये जाने के बाद यूपी कांग्रेस के प्रभारी राज बब्‍बर ने उसे फौरन हटवाने का आदेश दे दिया और उन्‍होंने कहा कि हार के लिए अभी किसी को भी जिम्‍मेवार नहीं ठहराया जा सकता है।

पोस्‍टर लगाने वाले कांग्रेस कार्यकार्ता सचिव राजेश सिंह के अनुसार पिछले एक साल से हमें बेवकूफ बनाया गया। कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर के हर आदेश को बिना कोई सवाल किये माना लेकिन यूपी में जिस तरह से कांग्रेस की हार हुई है हमें उनसे हार का जवाब चाहिए।

दरअसल लखनऊ स्थित यूपी कांग्रेस कार्यालय में यूपी के कांग्रेस सचिव ने एक पोस्टर लगवा दिया। जिसमें पीके को खोजने वाले को पांच लाख रुपये देने का एलान किया। गौरतलब हो कि कांग्रेस ने यूपी चुनाव को ध्‍यान में रखकर प्रशांत किशोर को अपना प्रमुख रणनीतिकार बनाया था। प्रशांत किशोर के कहने पर ही कांग्रेस ने सपा के साथ गंठबंधन की, लेकिन चुनाव में कांग्रेस को महज 7 सीटें ही मिली।

ज्ञात हो प्रशांत किशोर 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धमाकेदार जीत के बाद पहली बार चर्चा में आये। उसके बाद बिहार चुनाव में नीतीश कुमार ने उन्‍हें अपना रणनीतिकार बनाया और जोरदार जीत दर्ज की। लेकिन इस बार उन्‍हें करारी हार का सामना करना पड़ा।

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