आरबीआई ने कहा जल्दबाजी में जारी हो गए हैं डिफेक्टेड प्रिंटस वाले नोट
बेंगलुरू। पांच सौ व एक हजार के पुराने नोट बंद होने के बाद आरबीआई (रिजर्व बैंक आफ इंडिया) की तरफ से जारी किए गए पांच सौ के नए नोटों के बीच कई तरह का तरह अंतर देखने को मिल रहा है।
मामले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की प्रवक्ता अल्पना किलावाला ने कहा, ऐसा लगता है कि नोटों को लेकर ज्यादा मारामारी के चलते डिफेक्टेड प्रिंट वाले नोट्स भी जारी हो गए। हालांकि, लोग इसे बिना शक स्वीकार करें या इसे आरबीआई को वापस लौटा दें।
लोगों में पैदा हो रही है भ्रम की स्थिति
जानकारों का मानना है कि ऐसी स्थिति में लोगों में भ्रम पैदा होगा और जिसके चलते इसके फर्जीवाड़े की संभावना बढ़ जाएगी। जबकि, विमुद्रीकरण का एक सबसे बड़ा मकसद यही था कि इसके जाली नोटों से मुक्ति मिले।
तीन ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें 500 के नए नोटों में एक दूसरे में अंतर पाया गया। पहला मामला दिल्ली के रहनेवाले अबशार का है। अबशार का कहना है कि एक नोट पर गांधी के डबल शेडो दिखाई पड़ रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय चिन्ह के एलाइनमेंट में फर्क और सीरियल नंबर में भी गड़बड़ी पायी गई है।
अंग्रेजी के एक अखबार के मुताबिक, गुड़गांव के रहनेवाले रेहान शाह ने नोट के बॉर्डर की साइज पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें काफी अंतर है। जबकि, मुंबई के एक निवासी को जो 2 हजार के जो नोट्स मिले उन दोनों के रंग में काफी फर्क था। पहले वाले नोट में शेड हल्का था तो दूसरेवाले नोट में ज्याद शेड था।
पूर्व केन्द्रीय गृह सचिव जी.के. पिल्लै का कहना है कि पाकिस्तान में जिस तरह के प्रिंटिंग नोट्स की मशीन हैं उससे ज्यादा दिनों तक जालसाजी से बचना नामुमकिन है। हालांकि, इसमें अभी कुछ देर लग सकता है। उन्होंने कहा कि मैं पांच सौ के नोट्स के बारे में अभी कुछ नहीं सकता हूं क्योंकि अभी उसे नहीं देखा है जबकि 2 हजार का नोट काफी बेहतर है।
उधर, जानकारों ने इस पर सवाल उठया है कि अगर नोटों में कई तरह का बदलाव देखने को मिलेगा तो नकली नोटों को आसानी से मार्केट में चलाया जा सता है।
जबकि, कई वर्षों तक नकली नोटों के अपराध को देखते रहे आईपीएस ऑफिसर ने कहा कि यह लोगों के लिए काफी कठिन है कि वे नोटों के सभी फीचर्स के देखें और उसके बाद ले। ऐसे में अगर नोटों में अंतर होगा तो फिर नकली और असली में फर्क करना मुश्किल हो जाएगा।
साल 2013 के जनवरी से लेकर 2016 के सितंबर तक भारत में 155.11 करोड़ मूल्य के करेंसी जब्त किए गए थे जिनमें से 27.79 करोड़ साल के पहले नौ महीने में ही बरामद किए गए। हालांकि, जहां नोटों की कीमत सैकड़ों करोड़ रूपये थी तो वहीं नोटों की संख्या सिर्फ 31 लाख ही थी। इससे यह साफ होता है कि उन फर्जी नोटों में ज्यादा मूल्य के नोटों (हाई वैल्यू करेंसी) की संख्या ज्यादा थी।