भोपाल| केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां रविवार को कहा कि परंपरा और आधुनिकता जल की धारा की तरह है। इसमें अंतर करना मुश्किल है। यह तो केवल प्रतीकात्मक है। लोक-मंथन के दूसरे दिन रविवार को समानांतर सत्र के दौरान ‘आधुनिकता की आवधारणा एवं जीवन-शैली’ विषय पर स्मृति ईरानी ने इस बात पर जोर दिया कि संस्कार मजबूत होने से संस्कृति भी मजबूत होती है।
उन्होंने आगे कहा कि आधुनिकता और आधुनिकीकरण में फर्क करना सीखना होगा। पाश्चात्य विचारों में शक्ति, सफलता एवं धन संग्रह पर जोर है। वहां उपभोग और प्रतिस्पर्धा पर बल दिया जाता है। भारतीय परंपरा के केंद्रबिंदु में परिवार, सम्मान और सहयोग है। आधुनिकता का मतलब सभी के विचार-बिंदुओं को समझना है। हमारी भारतीय परंपरा जीवन जीने का तरीका सिखाती है। दूसरी ओर, पाश्चात्य विचार जीवन-शैली पर ध्यान देते हैं।
उन्होंने कहा, “आधुनिकता तो हमेशा परंपरा से ही आती है, क्योंकि उसमें समस्याओं का उत्तर देने की क्षमता होती है। हिन्दुस्तान अपनी जीवन-शैली कभी नहीं भूलेगा।”
अद्वैता काला ने कहा कि आधुनिकता की विडंबना है कि आज इसे जीवन-शैली से मिला दिया गया है। आज इसे आप हर आयु में देख सकते हैं। यह छोटा- बड़ा हर प्रकार का है। हर कोई इसे अपने तरीके से परिभाषित करता है और इस पर अपना निर्णय देता है। आधुनिकता को जीवन-शैली से मिला देने पर गंभीर और चिंताजनक परिणाम आए हैं। कोई इस आधुनिकता को बोल-चाल और पहनावे से परिभाषित करता है तो कोई इसमें मूल्य और दर्शन को महत्व देता है।
इसी सत्र में डॉ. अनिर्बान गांगुली ने कहा, “परंपरा और जीवन-शैली हमारी चितंन प्रक्रिया को प्रभावित करती है। आधुनिकता मतलब पाश्चात्यकरण नहीं है। यह बात वर्ष 1965 में ही पं़ दीनदयाल उपाध्याय ने कही थी। मैकाले का एक ही मकसद था भारतीयों को उनकी जड़ों से काट देना। अरबिंदो ने भी इस बात पर जोर दिया है कि हम किसी भी बाहरी विचार को अपनी शर्तो पर स्वीकार करें। हमारी आधुनिकता ऐसी होनी चाहिए, जो जीवन-शैली से मेल खाती हो। हमें हर हाल में भारतीयता को सुरक्षित रखना है।”