नई दिल्ली | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को नोटबंदी के फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की, क्योंकि इससे देशभर में नकदी के लिए अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया है। आम आदमी अपने ही पैसे के लिए मारे-मारे फिर रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) नेता ने दिल्ली विधानसभा में एक प्रस्ताव पढ़ा, अपनी बात रखी और नोटबंदी की पूरी कवायद की जांच सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग की।
सदन में प्रस्ताव पढ़ते हुए केजरीवाल ने कहा, “यह सदन राष्ट्रपति से यह अनुरोध करने को संकल्पित है कि वह केंद्र सरकार को अचानक लागू की गई निष्ठुर नोटबंदी योजना वापस लेने का निर्देश दें।”
केजरीवाल ने शीर्ष अदालत की निगरानी में उच्चस्तरीय जांच के लिए जरूरी कदम उठाने की भी मांग की, ताकि यह पता चल सके कि यह योजना राष्ट्र के साथ धोखा तो नहीं। साथ ही इस आरोप की भी जांच कराई जाए कि एक खास राजनीतिक दल को कालाधन बाजार में उसके अभिकर्ताओं के जरिए लाभ पहुंचाने के मकसद से यह योजना लागू की गई है।
केजरीवाल ने सदन से कहा कि गत 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने की घोषणा से आम लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। लोग हफ्ते भर से तनाव में हैं। अपने ही पैसा पाने के लिए सुबह से शाम तक सड़कों पर कतारों में खड़े रहते हैं। बैंकों में नोट पर्याप्त नहीं रहते, लोगों को मायूस लौटना पड़ता है।
इस समय ज्यादातर एटीएम काम नहीं करती, जो काम करती है उनमें रकम नहीं रहती। लोग भूखे-प्यासे एटीएम बूथों का चक्कर लागते रहते हैं। कब किस एटीएम से पैसे निकलेंगे, किसी को नहीं पता।
पूरी दिल्ली का जायजा लेने की बात कहते हुए केजरीवाल ने कहा, “कुछ लोग पूरी रात कतारों में खड़े रहते हैं। हर कोई कतारों में खड़ा है, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लोग भी.।”
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद से देशभर में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
आप नेता ने नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार पर हठी होने का आरोप लगाया और कहा कि उसकी अक्षमता उजागर हो गई है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया है कि इसके लिए दस महीने तक तैयारी की गई। इन तैयारियों का नतीजा सबके सामने है।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और ईमानदार लोगों के लिए यह नोटबंदी घातक साबित होगी। दिनरात सड़कों पर खड़े रहने की सजा बेईमानों को देने के बजाय ईमानदारों को दी जा रही है।