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तेजी से बढ़ रहा बोतल से दूध पिलाने का प्रचलन

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टोरंटो। अपने बच्चों को सीधे स्तनपान कराने की बजाय पंप या हाथ से निकाले गए दूध पिलाने वाली मांओं की संख्या बढ़ रही है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। स्तनपान को पहले भी शिशुओं और छोटे बच्चों के पोषण, प्रतिरोधी क्षमता, वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।
कनाडा स्थित ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के नर्सिंग के निदेशक मैरी टारंट ने कहा, स्तनपान शिशुओं को पोषण देने की अद्वितीय विधि है। कुछ भी जो विशेष छह महीने के स्तनपान की सिफारिश को कम करता है, एक चिंता का विषय है।
अध्ययन से पता चलता है कि ऐसी माएं जो पंप या बोतल के सहारे बच्चों को दूध पिलाती हैं, उन्होंने स्तनपान कराने वाली माताओं की तुलना में जल्दी ही अपने बच्चों को शिशु फार्मूला आहार देना शुरू कर दिया। इस प्रवृत्ति से हमारे अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा।
टारंट ने कहा कि हालांकि हाथ या पंप से निकाला गया दूध शिशु फार्मूला आहार की तुलना में ज्यादा लाभकारी होता है। बोतल से दूध पिलाने पर श्वसन संबंधी दिक्कतें, अस्थमा, ज्यादा वजन और मुंह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि शिशु फार्मूला से आहार देना, स्तनपान कराने के अनुभव की कमी, योजनाबद्ध सीजेजियन प्रसव और प्रसव बाद काम पर जाना आदि कुछ कारक हैं जो पंप या हाथ से निकाले गए दूध की उच्च दर से जुड़े हुए हैं।
अध्ययन के लिए टारंट और हांगकांग विश्वविद्यालय के डोरोथी बाई ने हांगकांग में रह रहे 2,000 से ज्यादा माताओं के शिशुओं के पोषण के तरीकों का परीक्षण किया।
पांच साल के बाद माताएं बच्चों को सीधे स्तनपान कराने के बजाय शिशुओं को पंप या हाथ से निकाले गए दूध को बोतल के द्वारा पिलाती हैं। टारंट ने सुझाव दिया कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जन्म के पहले चौबीस घंटों में नवजात शिशु को श्रेष्ठ पोषण मिलना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। शोध का प्रकाशन पत्रिका पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में किया गया है।

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Dileep Kumar
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