मथुरा। ब्रज मंडल के वातावरण में अभी से अबीर और गुलाल चारों ओर उड़ रहा है। पूरा नन्दगाँव “आज बिरज में होली है रसिया” के गीतों से गूंज रहा है। महीने भर पहले से चल रही तैयारियां नन्दगाँव में खेली जाने वाली लठमार होली की सोमवार को बरसाने की लठमार होली के दिन पूरी हो गई थीं।
आज मंगलवार को बरसाने के ग्वाल-बाल रंगबिरंगे कपड़े पहनकर अपने सिर पर पगड़ी बांधे और हाथों में ढाल लिए नन्दगाँव रवाना हो गए हैं। ढाल इसलिए ली है, नन्दगाँव की हुरियारिनों के लठ की मार से खुद को जो बचाना है। यह हुरियारे सबसे पहले नन्द भवन पहुचे यहां पहुच कर विधिवत पूजा अर्चना कर इन्होंने अपने सर पर पग बांधकर हाथों में ढाल संभाल लीं।
द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट
उधर, नन्दगाँव की हुरियारने जो की राधिका का स्वरुप मानी जाती है वह भी सोलह श्रृंगार कर अपने ग्वाल-बालों की बाट जोह चुकी हैं। उन्होंने भी घरों से पुरानी लाठियां निकालकर उन्हें सरसों के तेल से चमका लिया है। यह नन्दगाँव की भाभियाँ भी अपनी लाठियों को पिछले माह से ही तेल पिला रही है।
बरसाना से सज आये हुरियारे, नन्दगाँव की हुरियारनो ने बजाये लट्ठ
यह तैयारी ग्वालों के छेड़छाड़ करने पर उन्हें सबक सिखाने के लिए है। दरअसल होली का पर्व हँसी ठिठोली और छेड़खानी से भरा जो होता है। द्वापर युग यानी कृष्ण काल से चली आ रही सदियां पुरानी इस परम्परा का निर्वहन आज भी यहां ब्रज क्षेत्र में किया जा रहा है।
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कल बुधवार को यही क्रम मथुरा में दोहराया जाएगा, जब नन्दगाँव,वृन्दावन,गोकुल, बरसाने आदी समूचे जनपद के देवर यानि ग्वाल ढाल लेकर जन्मभूमि मंदिर परिसर में पहुंचेंगे और मथुरा की गोपियां लठमार कर उनका स्वागत करेंगी।