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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने विश्वास मत हासिल किया

चेन्नई| तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई.के.पलनीस्वामी ने शनिवार को विधानसभा में आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। वहीं विश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया के दौरान हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष को विपक्षी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के विधायकों को सदन से बाहर निकलवाना पड़ गया, जबकि कांग्रेस ने बहिर्गमन किया। गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले पलनीस्वामी के पक्ष में 122, जबकि विरोध में 11 मत पड़े। विरोध में पड़े 11 वोट पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम खेमे के ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के विधायकों ने दिए।

नए मुख्यमंत्री पलनीस्वामी एआईएडीएमके की महासचिव वी.के.शशिकला खेमे से हैं।

गुप्त मतदान की मांग को लेकर हंगामा करने को लेकर विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के 88 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष पी.धनपाल ने सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया, जिसके बाद मतदान कराया गया।

कांग्रेस ने भी इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।

शशिकला के नेतृत्व वाले एआईएडीएमके खेमे ने खुशियां मनाते हुए मिठाइयां बाटीं।

शशिकला खेमे के एक नेता ने यहां संवाददाताओं से कहा, “गद्दारों की हार हुई।”

विश्वास मत हासिल करने के बाद प्रसन्न नजर आ रहे पलनीस्वामी मरीना बीच स्थित दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के स्मारक पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “तमिलनाडु के लोग खुश हैं।”

वहीं, पन्नीरसेल्वम ने आरोप लगाया है कि विश्वास मत विपक्षी सदस्यों को बाहर निकालने के बाद कराया गया, जो लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा, “धर्म कुछ समय के लिए विचलित हुआ है, लेकिन अंतत: जीत उसकी ही होगी।”

वहीं, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के विधायकों को विधानसभा से बाहर निकाले जाने के विरोधस्वरूप पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के.स्टालिन मरीना बीच पर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट धरने पर बैठ गए।

बाद में पुलिस ने डीएमके विधायकों को हिरासत में ले लिया।

इससे पहले स्टालिन ने तमिलनाडु के राज्यपाल सी.विद्यासागर राव से मुलाकात की और विधानसभा में घटित घटना के बारे में शिकायत की।

सदन से उन्हें और उनकी पार्टी के विधायकों को निकाले जाने के बाद स्टालिन ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने मुख्यमंत्री ई.के.पलनीस्वामी की सरकार के विश्वास मत के लिए गुप्त मतदान की मांग की थी।

उन्होंने कहा कि पार्टी ने सदन की कार्यवाही एक सप्ताह तक स्थगित करने की मांग की थी, ताकि विधायक वापस अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाएं और विश्वास मत के लिए मतदान करने से पहले जनता की राय जानें।

सदन में शनिवार को कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद पलनीस्वामी ने बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद विपक्ष के नेता एम.के.स्टालिन की उनके साथ तीखी नोकझोंक हुई। स्टालिन ने विधानसभा अध्यक्ष पी.धनपाल से गुप्त मतदान कराने का आग्रह किया।

अध्यक्ष ने कहा कि उनके काम में विधायक दखलंदाजी नहीं कर सकते।

स्टालिन ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया है, फिर इतनी जल्दबाजी क्या है?

इस बीच, मुख्यमंत्री पलनीस्वामी का समर्थन करने वाले विधायक चुप रहे, जबकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के विधायकों ने धनपाल को चारों तरफ से घेर लिया और नारेबाजी करने लगे।

उन्होंने सदन के एजेंडा पेपर को भी फाड़ दिया और कुर्सियों तथा माइक को इधर-उधर फेंक दिया।

जब मार्शलों ने धनपाल को बचाकर बाहर ले जाने की कोशिश की तो डीएमके सदस्यों ने उन्हें दोबारा कुर्सी पर बैठा दिया। इस दौरान डीएमके का एक सदस्य अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गया।

हंगामा जारी रहने पर धनपाल अपने चैंबर में चले गए और विधानसभा की कार्यवाही अपराह्न एक बजे, फिर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने भी गुप्त मतदान की मांग की थी।

मतदान से पहले, एआईएडीएमके के पलनीस्वामी गुट को एक के बाद एक दो झटके लगे। कोयंबटूर उत्तर से विधायक अरुण कुमार ने शनिवार सुबह पाला बदल लिया। वहीं, शुक्रवार को एआईएडीमके से मयलापुर के विधायक तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.नटराज ने कहा था कि वह पलनीस्वामी के खिलाफ मतदान करेंगे।

लेकिन विधानसभा में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्यों का हंगामा और उन्हें सदन से बाहर निकलवाने के बाद पूरा माहौल बदल गया।

विधानसभा में डीएमके की रणनीति के बारे में पार्टी के पूर्व सांसद आर.तमाराई सेल्वन ने आईएएनएस से कहा, “हमने गुप्त मतदान या कम से कम सत्र को स्थगित कराने का प्रयास किया। बिना गुप्त मतदान के पलनीस्वामी खेमे के विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग की कोई संभावना नहीं थी।”

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Dileep Kumar
the authorDileep Kumar