Uttar Pradesh

गंगा की सफाई आसान नहीं : छन्नूलाल

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, लोकसभा चुनाव, वाराणसी में गंगा की सफाई, पंडित छन्नूलाल मिश्र, विधानसभा चुनाव, छन्नूलाल

वाराणसी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक और वाराणसी घराने के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का मानना है कि गंगा की सफाई का काम आसान नहीं है और इस नदी की सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर किसी की है।

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पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी में गंगा की सफाई प्रमुख मुद्दा था और मोदी ने गंगा की दुहाई देकर उत्तर प्रदेश में भारी जीत भी हासिल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में तीन दिन के काशी प्रवास के दौरान मोदी ने गंगा पर कोई बात नहीं की।

छन्नूलाल ने विशेष बातचीत में मंगलवार को इस मुद्दे पर मोदी का बचाव किया। उन्होंने कहा, “गंगा की सफाई इतना आसान काम नहीं है। यह अकेले मोदी और सरकार के वश का भी नहीं है। गंगा सबकी है और गंगा की सफाई और इसे बचाने के लिए हर किसी को आगे आना होगा।”

प्रख्यात ठुमरी गायक छन्नूलाल ने कहा, “मोदी जी काम कर रहे हैं, बहुत मेहनत कर रहे हैं। वाराणसी के लिए भी तीन साल में उन्होंने काफी कुछ किया है। रेलवे स्टेशन का विस्तार, साफ-सफाई, सड़क, स्वास्थ्य के लिए मोदी ने काम किया है। रेलगाड़ियों में खान-पान, साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक हुई है। धीरे-धीरे बाकी चीजें भी ठीक हो जाएंगी।” उन्होंने कहा, “जब नोट बदलने में इतनी मुश्किल हो सकती है, तो देश बदलना तो बहुत बड़ा काम है।”

यानी छन्नूलाल नोटबंदी को जायज मानते हैं? उन्होंने कहा, “हर काम के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष होते हैं। नोटबंदी से तमाम लोगों को तकलीफें हुई हैं। लेकिन इसका सकारात्मक पक्ष भी है, यह देशहित में था। इसका असर आगे दिखेगा।”

वाराणसी प्रवास के दौरान मोदी से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मोदी जी अच्छे व्यक्ति हैं। उन्होंने सबसे पहले मुझसे बात की। मेरे पैर छुए, हाल-चाल पूछा, मैंने भी उन्हें आशीर्वाद दिया। उनका प्रस्तावक इसीलिए बना था, क्योंकि वह देश के लिए कुछ करना चाहते हैं।”

लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक छन्नूलाल के लिए कुछ नहीं किया है। उन्हें वर्ष 2010 में देश के तीसरे सर्वोच्च सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार थी। छन्नूलाल ने इस सवाल पर एक शेर सुनाकर अपनी बात को विराम दिया- “इलाही कोई तमन्ना नहीं अब जमाने में/ मैंने सारी उम्र गुजारी है अपने गाने में।”

 

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