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खादी कर्मियों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी

Khadi-And-Village-Industries-Commissionमुंबई | खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कर्मचारियों ने ‘भ्रष्टाचार मुक्त केवीआईसी’ की मांग करते हुए 26 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। केवीआईसी के कर्मचारी साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आयोग के वार्षिक कैलेंडरों और डायरियों पर हमेशा महात्मा गांधी की तस्वीरें ही प्रकाशित की जाएंगी।

शिवसेना के नेतृत्व वाली खादी ग्रामोद्योग कर्मचारी सेना (केजीकेएस) के कर्मचारी संघ ने भी 12 जनवरी को भोजनावकाश के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल होने वाले कर्मचारियों को दंडित करने के केवीआईसी प्रबंधन के फैसले के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है।

कर्मचारी 2017 के दीवार कैलेंडर और टेबल डायरियों पर गांधी के स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें प्रकाशित करने का विरोध कर रहे हैं।

कर्मचारी संघ के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, “हम गांधीजी के आदर्शो के लिए खुद को कुर्बान करने के लिए तैयार हैं, जिनके लिए पूरी दुनिया उनका सम्मान करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवीआईसी ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ हो और गांधीजी के लिए शहीद होना गौरव की बात होगी, जिनकी पुण्यतिथि 30 जनवरी को है।”

आम जनता से लेकर, नामी-गिरामी हस्तियों और गांधीवादियों समेत सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिवसेना समेत सभी राजनीतिक दलों ने केवीआईसी के फैसले की निंदा की है।

शिवसेना के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता अनिल देसाई ने देर शुक्रवार कहा, “अब यह हमारी पार्टी का मुद्दा है। हम इससे उसी के अनुसार निपटेंगे।”

इससे पहले केजीकेएस के अध्यक्ष और सांसद आनंदराव अडसुल ने कहा कि वह केवीआईसी प्रबंधन को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को सजा न देने को कह चुके हैं।

उन्होंने यह भी पूछा कि क्या केवीआईसी अधिकारियों ने गांधी की तस्वीर के स्थान पर मोदी की तस्वीर लगाने से पूर्व प्रधानमंत्री कार्यालय से इसकी मंजूरी ली थी।

मीडिया में आई कई खबरों में कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने खुद को खादी विवाद से अलग कर लिया है, जिसके बाद केवीआईसी ने 16 जनवरी को केजीकेएस को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या उन्होंने उसके परिसर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन से पहले इसकी अनुमति ली थी।

अडसुल ने उसी शाम केवीआईसी को अखिल भारतीय हड़ताल की चेतावनी देते हुए आईएएनएस से कहा था, “यह कारण बताओ नोटिस एक लोकतांत्रिक देश में प्रबंधन के तानाशाही रवैये का प्रतीक है।”

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Raj Bisht
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