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एयरसेल-मैक्सिस मामले में मारन, अन्य आरोपी बरी

Chennai: Former telecom minister Dayanidhi Maran, who was Wednesday summoned by a special court hearing the Aircel-Marxis deal, as part of the larger 2G spectrum allocation case, to appear before it March 2. (File Photo: IANS)

Chennai: Former telecom minister Dayanidhi Maran, who was Wednesday summoned by a special court hearing the Aircel-Marxis deal, as part of the larger 2G spectrum allocation case, to appear before it March 2. (File Photo: IANS)

नई दिल्ली| दिल्ली की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन सहित सभी आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया। आरोपियों को आरोपों से बरी करते हुए अदालत ने कहा, “किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने का प्रथम दृष्ट्या कोई मामला नहीं पाया गया।”

विशेष न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने दो अलग-अलग मामलों में मारन, उनके भाई और कारोबारी कलानिधि मारन, कलानिधि की पत्नी कावेरी कलानिधि, दक्षिण एशिया एफएम लिमिटेड (एसएएफएल) के प्रबंध निदेशक के. षणमुगम और तीन कंपनियों – एसएएफएल और सन डाइरेक्ट टीवी, साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड – और मलेशिया की दो कंपनियों- मैक्सिस कम्युनिकेशंस बरहैड और एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क्‍स को आरोपमुक्त कर दिया।

अदालत एयरसेल-मैक्सिस करार से जुड़े सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर दो अलग-अलग मामलों की एकसाथ सुनवाई कर रहा था।

दोनों ही मामलों में मारन बंधु और एसडीटीपीएल आरोपी थे।

ईडी ने अपने आरोप-पत्र में मारन बंधुओं, कावेरी, षणमुगम और दो कंपनियों- एसडीटीपीएल और एसएएफएल – को आरोपी बनाया था, जबकि सीबीआई ने मारन बंधुओं, एसडीटीपीएल और साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था।

अदालत ने कहा, “मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि पूरा मामला आधिकारिक दस्तावेजों की गलत व्याख्या, विरोधाभासी बयानों और सी. शिवशंकरन की अटकलों और अनुमानों पर आधारित था। हमें यह कहते हुए बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा कि किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने का कोई भी प्रथम दृष्ट्या मामला नहीं पाया गया।”

अदालत ने आगे कहा, “इसीलिए, सभी आरोपियों को आरोपों से बरी किया जाता है।”

ज्ञात हो कि 29 अगस्त, 2014 को सीबीआई ने 15 बक्सों में भरकर दस्तावेजों सहित आरोप-पत्र दाखिल किया था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने आरोप-पत्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्ववर्ती सरकार में संचार मंत्री रह चुके मारन पर मलेशिया के व्यापारी टी. ए. आनंद कृष्णन को दूरसंचार कंपनी एयरसेल को खरीदने और कंपनी के मालिक शिवशंकरन को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर मजबूर करने का आरोप लगाया था।

शिवशंकरन का आरोप था कि मारन ने उनकी कंपनी के अधिग्रहण में मैक्सिस समूह का पक्ष लिया। शिवशंकरन का कहना है कि बदले में मैक्सिस ने एस्ट्रो नेटवर्क के जरिए मारन परिवार की कंपनी में निवेश किया।

प्रवर्तन निदेशालय ने आठ जनवरी, 2016 को अपना अरोप-पत्र दाखिल किया, जिसमें मॉरिशस की कंपनी द्वारा दयानिधि मारन को पारितोषिक के रूप में अवैध तरीके से 742.58 करोड़ रुपये देने का आरोप लगाया गया था।

यह राशि कलानिधि मारन के नियंत्रण वाली दो कंपनियों – एडीटीपीएल और एसएएफएल – में निवेश की गई थी।

अदालत ने 16 नवंबर, 2016 को ही मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अत्यधिक मात्रा में दस्तावेज होने, दस्तावेजों के बेहद पुराने, धूल-धूसरित होने, बहुत ही तकनीकी और जटिल होने के कारण अदालत ने छह बार फैसला सुनाने की तारीख टाली।

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Dileep Kumar
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