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आईएसएल : एरॉन के बिना आज गोवा से भिड़ेगी केरला

केरला ब्लास्टर्स, मार्की खिलाड़ी एरॉन ह्यूज, हीरो इंडियन सुपर लीग, एफसी गोवाaaron huge of kerala blasters in isl 2016
केरला ब्लास्टर्स, मार्की खिलाड़ी एरॉन ह्यूज, हीरो इंडियन सुपर लीग, एफसी गोवा
aaron huge of kerala blasters in isl 2016

कोच्चि| केरला ब्लास्टर्स की टीम आज अपने मार्की खिलाड़ी एरॉन ह्यूज के बिना ही मैदान पर उतरेगी। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होने वाले हीरो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के तीसरे सीजन के इस मुकाबले में उसका सामना एफसी गोवा से होगा।

आयरलैंड के एरॉन स्वदेश वापस लौट गए हैं। मार्की खिलाड़ी की गैरमौजूदगी में केरल गोवा के खिलाफ कैसा प्रदर्शन करती है यह देखने वाली बात होगी। राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने के कारण एरॉन बाकी के मैचों में केरला के साथ नहीं खेल सकेंगे।

केरल के कोच स्टीव कोपेल ने कहा, “जब हमने एरॉन को मार्की खिलाड़ी के तौर पर अपने साथ जोड़ा था, हमने उनकी उम्र और यूरोपीयन चैम्पियनशिप में उनके प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखा था। हमने सोचा था कि उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर अब खत्म हो गया है, लेकिन अपने खिलाड़ियों के चोटिल होने से जूझ रही उत्तरी आयरलैंड टीम ने उन्हें फिर से टीम में शामिल करते हुए हमें बड़ा झटका दिया है।”

एरॉन के अलावा केरल को अपने आगे का सफर हैती के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी डकेंस नाजोन के बगैर जारी रखना होगा। बेंगलुरू एफसी के लिए एएफसी कप में खेल चुके रीनो एंटो और सीके विनीत को कोपेल सीधे मैदान में नहीं उतार सकते। ऐसे में एरॉन की गैरमौजूदगी से केरल को सबसे अधिक नुकसान होगा।

कोपेल हालांकि मानते हैं कि उनके खिलाड़ी इस नुकसान से उबरते हुए बेहतर प्रदर्शन करेंगे और एरॉन की कमी नहीं खलने देंगे।

केरल के पास लीग की सबसे मजबूत डिफेंस लाइन है लेकिन इसकी मजबूती आपसी साझेदारी और तालमेल पर आधारित रही है। इसमें एरॉन और सेड्रिक हेंगबार्ट की अहम भूमिका रही है। अब देखने वाली बात यह है कि एरॉन के बगैर भी यह पहले जैसी मजबूत दिखती है।

जहां तक एफसी गोवा की बात है तो उसकी आक्रमण पंक्ति बहुत अधिक कारगर नहीं रही है। एफसी गोवा ने आठ मैचों में पांच गोल किए हैं और कोच जीको को उम्मीद है कि लीग के दूसरे चरण में उनके स्ट्राइकर बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

जीको ने कहा, “मैं मानता हूं कि मेरे खिलाड़ी चिंता से ग्रसित हैं। उन पर गोल करने और स्कोर अपने पक्ष में करने का दबाव है। जब मैच फिनिश करने की बारी आती है तो वे पिछड़ जाते हैं। उनमें संयम नहीं रह गया है। गोलपोस्ट के सामने वे आक्रामक नजर नहीं आते। इस साल हालांकि गोलकीपरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।”

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