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‘अहिंसा पुरस्कार’ पानी के अहिंसक पुजारियों को समर्पित : राजेंद्र सिंह

जलपुरुष राजेंद्र सिंह, 'अहिंसा पुरस्कार', पानी के अहिंसक पुजारियों को समर्पितRajender singh
जलपुरुष राजेंद्र सिंह, 'अहिंसा पुरस्कार', पानी के अहिंसक पुजारियों को समर्पित
Rajender singh

भोपाल| दुनिया में जलपुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने ब्रिटेन में मिले ‘अहिंसा पुरस्कार’ को जल संरक्षण और संवर्धन के लिए अहिंसक तरीके से कार्य करने वालों को समर्पित किया है।

ब्रिटेन के हाउस ऑफ कामंस में बुधवार को राजेंद्र सिंह को सामुदायिक मंत्री (कम्युनिटी मिनिस्टर) लॉर्ड ब्रोने ने 14वें अहिंसा दिवस को प्रदान किया। राजेंद्र सिंह दुनिया के चौथे व्यक्ति हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। इससे पहले यह पुरस्कार नेल्सन मंडेला, दलाई लामा और प्रिंस चार्ल्स को मिल चुका है।

लंदन से दूरभाष पर चर्चा करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा, “विकास का नाम लेकर, पीड़ितों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है, हथियार उठाए जा रहे हैं, मगर उन्होंने पानी संरक्षण और उसके संवर्धन के लिए अहिंसक तरीका अपनाया। उस कोशिश को ब्रिटेन में अहिंसा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।”

इससे पहले सिंह को स्टॉकहोम वॉटर प्राइज भी मिल चुका है, जिसे पानी का नोबल पुरस्कार माना जाता है। सिंह स्वयं अहिंसा पुरस्कार को ज्यादा अहम मानते हैं।

उनका कहना है कि ‘स्टॉक हेाम वॉटर प्राइज उनके द्वारा पानी संरक्षण के लिए अपनाई गई विधि के लिए मिला था, जबकि यह पुरस्कार उनके काम की आत्मा को मिला है।’

सिंह ने बताया कि अहिंसा पुरस्कार इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोलॉजी के द्वारा दिया जाता है, पुरस्कार का उद्देश्य विश्व शांति और जैन दर्शन का बढ़ावा देना है, संस्था शिक्षा, कला और संस्कृति के माध्यम से जैन दर्शन को बढ़ावा दे रही है।

अहिंसा विश्व पुरस्कार व्यक्तिगत प्रयासों, सिद्धांतों के माध्यम से अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए पिछले 14 वर्षो से दिया जा रहा है। राजेंद्र सिंह ने जल संरक्षण और विश्व में जल संकट से उत्पन्न होने वाली अशांति के समाधान के लिए विश्व जल शांति निकाली थी, उसी के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

राजेंद्र सिंह तरुण भारत संघ के संस्थापक हैं। वह सूखा और जलसंकट से ग्रस्त लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के अभियान में लगे हैं। उनके प्रयास से राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में जलसंकट का समाधान हुआ है, नदियां पुनर्जीवित हुई हैं।

उन्होंने दस हजार से अधिक जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण राजस्थान के अलवर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा व जयपुर जिले में किया है। उनके प्रयास से सैकड़ों उजड़े गांव फिर से बस गए हैं।

राजेंद्र सिंह को वर्ष 2002 में रमन मैगसेसे पुरस्कार और 2015 में स्टॉक होम वाटर प्राइज प्राप्त हुआ। अब उन्हें अहिंसा पुरस्कार मिला है। वह वर्ष 2004 के बाद से राजस्थान के बाहर देश के कई राज्यों में जल संरक्षण और जल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर सक्रिय हैं।

इस वर्ष सूखे से जूझते महाराष्ट्र के लातूर, उस्मानाबाद, बुंदेलखंड के टीकमगढ़, छतरपुर, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी, जैसे जिलों में समाज को जोड़ने का कार्य किया है।

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