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अलगाववादियों ने कहा, अब सिर्फ जुमे को बंद होगी घाटी

हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, कश्मीर में अलगाववादियों का असरseparatist in kashmir
हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, कश्मीर में अलगाववादियों का असर
separatist in kashmir

पांच दिन नहीं बस शुक्रवार को होगा प्रदर्शन

श्रीनगर। लगता है कश्‍मीर घाटी में अलगाववादियों का असर अब कम होता नजर रहा है। पिछले साल जुलाई में आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी को हिंसा की आग में झोंकने वाले अलगाववादियों ने लोगों से कहा है कि घाटी में विरोध-प्रदर्शन अब सिर्फ जुमा यानी शुक्रवार को ही होगा।

घट रहा है अलगाववादियों का असर

बुरहान वानी के एनकाउंटर की घटना के महीनों बाद घाटी में अलगाववादियों का हस्तक्षेप कम होता दिख रहा है। इसकी बानगी अलगाववादियों की तरफ से विरोध-प्रदर्शन के लिए जारी नए कैलेंडर में देखी जा सकती है। अलगाववादियों ने अपने विरोध प्रदर्शन को केवल जुमे (शुक्रवार) तक ही सीमित कर लिया है।

कश्मीर में अलगाववादियों ने अपने आंदोलन को हर जुमे पर बंद के आह्वान तक सीमित करके और कम कर दिया है और लोगों से गणतंत्र दिवस पर ‘काला दिवस’ मनाने को कहा है। अपने विरोध प्रदर्शन के शनिवार देर रात जारी नए कार्यक्रम में कट्टरपंथी हुर्रियत के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी, नरमपंथी हुर्रियत के प्रमुख मीरवाइज उमर फारुक और जेकेएलएफ अध्यक्ष यासीन मलिक ने जनता से केवल शुक्रवार पर बंद रखने को कहा है।

इसे घाटी में अलगाववादियों के कम होते असर के रूप में भी देखा जा रहा है। पहले अलगाववादियों ने सप्ताह में पांच दिन विरोध प्रदर्शन का कैलेंडर जारी किया। फिर इसकी अवधि घटाकर तीन दिन कर दी गई और अब इसे केवल शुक्रवार तक सीमित कर दिया गया।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कश्मीर के अलगाववादी विचारधारा से नहीं बल्कि सुविधा से हैं। अलगाववाद उनके लिए सुविधा की चीज है। जहां इनकी तादाद बढ़ी वहां शान्ति खत्म| क्यूंकि शिक्षा तो अशान्ति की मिलती है| शान्ति तो तब हो न जब देश के संविधान का पालन करें, ये लोग तो अपने कानून का पालन करते है और अपने कानून को परोसने की कोशिश करते है

जितेंद्र सिंह ने कहा कि घाटी में कभी अलगाववादी आंदोलन चला ही नहीं बल्कि अपने निजी हितों को पूरा करने के लिए अशांति फैलाई जाती रही। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि कश्मीर की नई पीढ़ी, यूथ अब ऐसे लोगों की सच्चाई जान गए हैं। इस वजह से अब वे इनके धोखे में नहीं पड़ने वाले।

पिछले साल जुलाई में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में अशांति फैलने लगी थी। इसके बाद अलगाववादी नियमित विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम जारी कर रहे हैं। नवंबर से विरोध प्रदर्शनों में कमी आई है और अलगाववादियों ने हड़ताल को हर सप्ताह शुक्रवार तथा शनिवार तक सीमित कर दिया था।

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