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अब ‘साइकिल’ की लड़ाई, अखिलेश जा सकते हैं चुनाव आयोग

समाजवादी पार्टी का झगड़ा, यूपी चुनाव 2017, मुलायम, शिवपाल, अखिलेश यादव, चुनाव आयोग, रामगोपाल यादव, चुनाव निशान ‘साइकिल’, 190 विधायकsamajwadi party symbol
समाजवादी पार्टी का झगड़ा, यूपी चुनाव 2017, मुलायम, शिवपाल, अखिलेश यादव, चुनाव आयोग, रामगोपाल यादव, चुनाव निशान ‘साइकिल’
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टूट की कगार पर पंहुच चुकी है समाजवादी पार्टी

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के झगड़े का अंजाम पार्टी के दो फाड़ होने के कगार पर आ पंहुचा है लेकिन इन सबके बीच सवाल सबसे बड़ा यही है कि सपा का चुनाव निशान ‘साइकिल’ किस खेमे को मिलेगा। सूत्रों की मानें तो पिता मुलायम सिंह यादव और पुत्र अखिलेश यादव के बीच बात अब इतनी आगे बढ़ चुकी है जिसमें सुलह की संभावना अब खत्‍म हो चुकी है।

चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ जब्त कराने EC जा सकते हैं अखिलेश

माना जा रहा है कि मामला ‘साइकिल’ पर फंस सकता है। सूत्रों के मुताबिक सीएम अखिलेश यादव अपनी राह अलग करते हुए चुनाव आयोग जाकर चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को जब्त करने की मांग कर सकते हैं। अखिलेश की ओर से यह काम प्रो. रामगोपाल यादव कर सकते हैं जबकि मुलायम खेमे की ओर से ‘सा‍इकिल’ पर दावा ढोंकने के लिए अमर सिंह को आगे किया जा रहा है।

दोनों खेमों की ओर से मिल रहे कड़े संकेत यही इशारा कर रहे हैं कि अब जो भी होगा निर्णायक होगा। उधर समाजवादी पार्टी में तेजी से बदल रहे इस घटनाक्रम पर कांग्रेस के रणनीतिकारों की पैनी नजर है। उन्हें अखिलेश की बगावत का बेसब्री से इंतजार है।

अखिलेश के नजदीकी सूत्र बता रहे हैं कि टिकट बंटवारे में अनदेखी के बाद अखिलेश की आक्रामकता सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है। अगर उनके पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव उनकी बात नहीं मानते हैं, तो वह अपना रास्ता अलग करने का मन बना चुके हैं।

सूत्रों ने संकेत दिया कि अखिलेश इस संभावित घटनाक्रम के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं और अगर उन्हें अलग होना पड़ता है, तो वह चुनावी मैदान में अपने ‘ब्रैंड’ के बूते उतरेंगे।

सूत्रों ने बताया कि अखिलेश इस बार आर-पार की लड़ाई को लड़ने का मन इस कदर बना चुके हैं कि वह चुनाव आयोग जाकर अपनी नई पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को फ्रीज करने की मांग कर सकते हैं।

उधर मुलायम भी इस लड़ाई में पीछे हटने को कतई राजी नहीं हैं। शिवपाल की मौजूदगी में अखिलेश के साथ हुई छह घंटे लंबी बैठक में मुलायम ने टिकट बंटवारे को लेकर बेटे की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। बताया जा रहा है कि सीएम अखिलेश ने मुलायम से बार-बार कहा, ‘आपको जो करना है मुझे करिए, मेरे लोगों को क्यों सजा दे रहे हैं?’ जवाब में मुलायम ने सिर्फ इतना कहा, ‘हम देखेंगे।’

सूत्र बता रहे हैं कि अखिलेश अपने वफादारों को टिकट न दिए जाने से आहत और अपमानित महसूस कर रहे थे। जवाब में उन्होंने सुरभि शुक्ला जैसे मुलायम के वफादारों को सरकार से बाहर कर दिया।

उधर कांग्रेस समाजवादी कुनबे में चल रही इस वर्चस्व की लड़ाई पर पैनी नजर बनाए हुए है। कांग्रेस को लगता है कि अगर अखिलेश अलग होकर अपनी पार्टी बनाते हैं तो उन्हें अच्छे प्रदर्शन के लिए कांग्रेस जैसे सहयोगी की दरकार होगी।

अगर समाजवादी पार्टी में टूट होती है तो देश के इस सबसे बड़े राज्य में कांग्रेस के लिए सम्मानजनक उपस्थिति हासिल करने का रास्ता खुल जाएगा। अखिलेश भी कई बार कांग्रेस से गठबंधन की वकालत कर चुके हैं।

बताया तो यह भी जा रहा है कि अखिलेश कई कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं और अखिलेश ने यह ‘दांव’ कांग्रेस के आश्वासन पर ही खेला है। हालांकि कांग्रेस अब भी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि अखिलेश वाकई कुछ निर्णायक करने वाले हैं या फिर यह सिर्फ उनकी ओर से मुलायम और शिवपाल पर दबाव बनाने की रणनीति है।

हालांकि इसके पहले गठबंधन को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में अनौपचारिक बातचीत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक मुलायम को लगता है कि अगर गठबंधन में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है और बीजेपी की हार होती है, तो इससे सपा को अपने कोर वोट बैंक माने जाने वाले ‘सेक्युलर’ वोटों पर कांग्रेस से चुनौती मिलेगी। यह सपा के लिए भविष्य में खतरा हो सकता है।

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