लखनऊ । उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों पर कार्रवाई का असर लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाब पर भी पड़ा है। 112 साल के इतिहास में पहली बार बीते बुधवार को टुंडे कबाबी दुकान बंद रही। जिसके बाद अब टुंडे के बीफ कबाब का सफर खत्म हो गया है। टुंडे के बीफ कबाब को पसंद करने वाले अब इसे नहीं खा पाएंगे। उसकी जगह चौक व अमीनाबाद स्थित टुंडे कबाबी ने मटन और चिकन के कबाब बेचना शुरू कर दिया है।
पुराने लखनऊ में चौक में 1905 से चल रही टुंडे कबाबी की दुकान है। जिसके जायके को कई फिल्म कलाकारों ने पसन्द किया है। लेकिन योगी सरकार बनने के बाद बड़े का गोश्त मिलना बंद हो गया है। इसका सीधा असर टुंडे के कबाब, मुबीन, रहीम के यहां पर मिलने वाली बड़े की नहारी पर पड़ा।
अब यहां पर मटन की नहारी और कबाब बेची जा रही हैं। करीब 25 सालों से टुंडे के कबाब खा रहे लोगों का कहना है कि लखनऊ में टुंडे से बेहतर बीफ के कबाब कोई नहीं बनाता है। टुंडे के कबाब ऐसे ही जायकेदार नहीं होते हैं, उन्हें 160 मसालों से तैयार किया जाता है।
टुंडे कबाबी के मोहम्मद उस्मान बताते हैं कि दुकान की हर दीवार पर नए स्टिकर चिपका दिए गए हैं जहां लिखा है मटन और चिकन कबाब। उन्होंने बताया कि बड़े का गोश्त न मिलने की वजह से मटन और चिकन के कबाब ही बेचे जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एक तो बड़े के कबाब का जायका अलग ही होता था। दूसरा बड़े जानवर का गोश्त सस्ता होने की वजह से गरीब लोग आसानी से भर पेट खाना खा लेते थे। मटन के कबाब 80 रुपये के चार हैं जबकि बड़े के कबाब चालीस रुपये के चार होते थे।