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अधिकतर ऐंड्रॉयड यूजर्स को इस खतरनाक वाइरस से है खतरा

ऐंड्रॉयड मार्शमैलो, ऐंड्रॉयड ट्रोजन 'गोस्ट पुश', वाइरस रूट ऐक्सेसandroid trojan ghost push
ऐंड्रॉयड मार्शमैलो, ऐंड्रॉयड ट्रोजन 'गोस्ट पुश', वाइरस रूट ऐक्सेस
android trojan ghost push

नई दिल्‍ली। अगर आपके स्मार्टफोन में ऐंड्रॉयड मार्शमैलो से पहले का कोई मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है तो सावधान रहें। आपका फोन अभी भी उस वाइरस का शिकार हो सकता है, जो मोबाइल का रूट ऐक्सेस लेने के बाद इन्फर्मेशन को हैकर्स को भेज देता है।

चीता मोबाइल ने चर्चित ऐंड्रॉयड ट्रोजन ‘गोस्ट पुश’ के इंप्रूव्ड वर्जन के बारे में नई रिपोर्ट जारी की है। जिन लोगों के डिवाइस इस वाइरस से इन्फेक्ट हुए हैं, उनमें से ज्यादातर ने अनऑफिशल ऐप्स डाउनलोड किए थे। रिपोर्ट कहती है कि जिन ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से इन्स्टॉल नहीं किया जाता, उनमें वाइरस होने का खतरा ज्यादा होता है।

रिपोर्ट कहती है कि हर दिन ऐंड्रॉयड डिवाइसेज पर करीब 10 लाख ऐप डाउनलोड किए जाते हैं। इनमें से 1 पर्सेंट में किसी न किसी तरह का मैलवेयर होता है। ज्यादातर ऐप्स में ट्रोजन होते हैं। एक दिन में इंस्टॉल होने वाले करीब 10,000 सॉफ्टवेयर में मैलवेयर होते हैं और यह आंकड़ा चिंता का विषय है।

गोस्ट पुश (Ghost Push) एक ऐसा ही वाइरस है, जिसे हैकर्स और ऑनलाइन क्रिमिनल इस्तेमाल करते हैं। इसका पता सबसे पहले 2014 के आखिर में पता चला था। पिछले साल ही इस वाइरस ने 9 लाख डिवाइसेज को इन्फेक्ट कर दिया था। सबसे ज्यादा भारतीय यूजर्स के स्मार्टफोन्स इस वाइरस की चपेट में आए थे।

एक बार फोन में आने के बाद यह वाइरस रूट ऐक्सेस हासिल कर लेता है और कई तरह की जानकारियां चुराने में हैकर्स की मदद करता है। इसलिए यह जरूरी है कि कोई अनऑफिशल APK फाइल इंस्टॉल करनी है तो पहले ऐंटीवाइरस रन करके उसे स्कैन कर लिया जाए।

रिसर्चर्स ने यह भी पाया है कि ज्यादातर इन्फेक्टेड फाइल्स अडल्ट वेबसाइट्स या ठगने वाले ऐडवर्टाइजिंग लिंक्स से डाउनलोड होती हैं। चिंता की बात यह है कि ऐंड्रॉयड मार्शमैलो 6.0 से पहले के OS पर रन करने वाले किसी भी फोन को यह वाइरस इन्फेक्ट कर सकता है। गौरतलब है कि अभी 80 फीसदी से ज्यादा ऐंड्रॉयड डिवाइसेज मार्शमैलो से पहले वाले OS पर रन कर रहे हैं।

क्रिमिनल्स ने इस सॉफ्टवेयर्स को अन्य ऐप्स के साथ मिलाकर फैलाने में कामयाबी हासिल की है। सुपर मारियो और वर्डलॉक के नाम पर ऐप बनाकर उन्होंने हर दिन सैकड़ों डाउनलोड करवाए। चिंता की बात यह भी है कि गूगल का सिक्यॉरिटी सिस्टम भी इन्हें पकड़ नहीं सका। इस वाइरस को फैलाने का दूसरा तरीका रहा- फर्जी मोबाइल वेबसाइट्स।

इसी तरह से पिछले दिनों गॉडलेस वाइरस ने भी ऐंड्रॉयड फोन्स को इन्फेक्ट किया था और 90 प्रतिशत स्मार्टफोन्स को उससे खतरा था। क्या है गॉडलेस वाइरस और इससे कैसे बचा जा सकता है,

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