नई दिल्ली| दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार के 500 और 1,000 रुपये के नोट को रद्द करने के फैसले को शनिवार को वापस लेने की मांग की। केजरीवाल ने कहा कि यदि सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो आगामी दिनों में अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा।
केजरीवाल ने कहा कि विमुद्रीकरण से काला धन बैंकिंग प्रणाली में वापस नहीं आएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों को सरकार के इस कदम के बारे में पहले से ही जानकारी थी और उन्होंने इस घोषणा से पहले ही अपने काले धन को ठिकाने लगा दिया।
केजरीवाल ने सरकार से पूछा, “इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कई बैंकों में जमा राशि, जो पिछले कई महीने से कम होती जा रही थी, अचानक जुलाई-सितंबर तिमाही में दो से तीन प्रतिशत तक बढ़ गई। इससे पता चलता है कि कई हजार करोड़ रुपये खाते में जमा हो गए हैं। यह किसका पैसा है?”
उन्होंने आगे कहा, “इसका मतलब यह है कि भाजपा के नजदीकी लोग सरकार के इस कदम से पहले से ही वाकिफ थे। उन्होंने पहले ही अपने काले धन को ठिकाने लगा दिया, जबकि आम लोगों को परेशानी हो रही है।” केजरीवाल ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया व्यर्थ होने जा रही है और इससे काले धन की एक फूटी कौड़ी भी अर्थव्यवस्था में नहीं आएगी।
केजरीवाल ने कहा, “काला धन सिर्फ एक हाथ से दूसरे हाथ जाएगा। उदाहरण के लिए एक शख्स के पास 10 करोड़ रुपये का काला धन है तो वह उसे बैंक में जमा नहीं कराएगा क्योंकि उस पर 30 फीसदी का कर और 200 फीसदी का जुर्माना लगेगा। इस तरह उसकी 10 करोड़ रुपये की राशि घटकर एक करोड़ रुपये रह जाएगी।” केजरीवाल ने कहा, “इसके बजाए वह दोगुने दाम पर विदेशी मुद्रा और सोना खरीदेगा।” उन्होंने कहा कि बाजार में कई ब्रोकर हैं जो पुराने नोटों को 2,000 रुपये के नए नोट में बदल रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा, “ये ब्रोकर मुद्रा को 50 फीसदी के कमीशन पर बदल रहे हैं। सोने का व्यापारी अपने पुराने नोटों को बदल देगा। परिणामस्वरूप जिस शख्स के पास 10 करोड़ रुपये का काला धन है उसके हाथ में पांच करोड़ रुपये ही रह जाएंगे और बाकी का पांच करोड़ ब्रोकर और सोना, विदेशी मुद्रा आदि बेचने वाले शख्स के बीच बंट जाएगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह संकट जानबूझकर पैदा किया गया है, ताकि लोग पैसा बदलने के लिए ब्रोकर्स के पास जा सकें।
उन्होंने कहा, “सरकार टीवी पर धमका रही है कि 2.5 लाख रुपये से अधिक राशि वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें भारी जुर्माना चुकना पड़ेगा। उनका इससे क्या मतलब है? क्या वे यह कहना चाहते हैं कि लोग रुपये जमा नहीं करें, उनके ब्रोकर्स आएंगे और इसे बदल देंगे?”
केजरीवाल ने कहा कि सरकार का यह कदम उन लोगों के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ है, जिन्होंने अपनी जिंदगीभर की पूंजी बचाकर रखी है, जबकि हजार करोड़ रुपये का काला धन रखने वालों पर इसका कोई असर नहीं होगा। केजरीवाल ने इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए कहा, “हम न केवल इसके क्रियान्वयन, बल्कि इस फैसले की मंशा पर भी सवाल उठा रहे हैं।”