दिल्ली | वैश्विक अर्थव्यवस्था में मामूली वृद्धि के बावजूद वर्तमान वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 7.1 फीसदी रही है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीमारमण ने सोमवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंद वृद्धि के बावजूद भारत ने अपना विकास दर साल 2014-15 के दौरान 7.2 फीसदी, साल 2015-16 के दौरान 7.6 फीसदी तथा अप्रैल से सितंबर 2016-17 के दौरान 7.1 फीसदी बरकरार रखा है।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया व स्टार्ट-अप इंडिया, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में उदारता तथा औद्योगिक गलियारों के विकास सहित औद्योगिक उत्पादन तथा विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
सीतारमण ने कहा, “अप्रैल-सितंबर, 2016-17 के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।”
उन्होंने कहा, “साल 2013-14 के दौरान आईआईपी 0.1 फीसदी (ऋणात्मक) थी, जो साल 2014-15 के दौरान 2.8 फीसदी और साल 2015-16 के दौरान यह 2.4 फीसदी रही।”
मंत्री ने कहा कि पिछड़े इलाकों के औद्योगिक विकास की जिम्मेदारी राज्यों की है, जबकि केंद्र सरकार का काम विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनके प्रयासों को मजबूती प्रदान करना है।
नोटबंदी से पूर्व की विकास दर का अंतिम अंकड़ा बुधवार को जारी होने की संभावना है।
काला धन, नकली नोट व आतंकवादियों की फंडिंग पर लगाम लगाने के प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने बीते आठ नवंबर की आधी रात से 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया।
जून में समाप्त हुई पहली तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर पिछली छह तिमाही के दौरान सबसे कम 7.1 फीसदी रही, जिसका कारण निर्माण, खनन व कृषि क्षेत्रों में गिरावट थी