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यूपीआईः कैशलेस इंडिया की दिशा में एक सशक्त कदम

नोटबंदी से उपजे कैश के संकट, डिजिटल ट्रांजैक्शन, यूपीआई, नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडियाupi
नोटबंदी से उपजे कैश के संकट, डिजिटल ट्रांजैक्शन, यूपीआई, नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
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नई दिल्‍ली। नोटबंदी से उपजे कैश के संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की ओर तेजी से बढ़ रही है और इस दिशा में कई बड़े कदम भी उठा रही है। इसी के तहत अब 20 सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) से जुड़ गए हैं।

नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अप्रैल महीने में यूपीआई को लॉन्च किया था। कोई भी बैंकिंग कस्टमर प्लेस्टोर से संबंधित बैंक का यूपीआई ऐप्लिकेशन डाउनलोड कर सकता है। यह सिस्‍टम एक मामले में बिल्कुल खास है।

मान लीजिए आपने किसी सुपरमार्केट से घर के सामान खरीदे और दुकानदार ने आपको बिल दिया। फिर आप उसे कैश दे देते हैं। इसमें भी ऐसा ही बिल्कुल सिंपल फंडा है।

यहां आप बस यह करते हैं कि कैश में पेमेंट करने की जगह आप दुकानदार को अपना यूपीआई आईडी बताते हैं। वह उस आईडी के जरिए एक इनवॉइस जेनरेट करता है जिसे आप अपने मोबाइल फोन से अप्रूव कर देते हैं। आपका अप्रूवल मिलते ही पेमेंट हो जाता है।

यह तुरंत ऑनलाइन बैंक पेमेंट करने का एक सिस्टम है। इसके तहत आप जिसे पैसे भेजना चाहते हैं, उनका यूपीआई आईडी आपको पता होना चाहिए। यह ईमेल अड्रेस की तरह होता है।

यह आपका नाम या फोन नंबर हो सकता है। मसलन, अगर आपका फोन नंबर 94512….. है और आपका अकाउंट एसबीआई में है तो आपका यूपीआई आईडी 94512…..@sbi हो सकता है। आप चाहें तो आधारकार्ड नंबर से भी यूपीआई आईडी बनवा सकते हैं।

इसके तहत आप अपने विभिन्न बैंकों के लिए अलग-अलग यूपीआई आईडी तैयार करवा सकते हैं। डेटा की सुरक्षा के लिए पेमेंट की प्रक्रिया के वक्त आपका अकाउंट नंबर आपके बैंक के अलावा कहीं उजागर नहीं होता है। ऐसे में आप बेफिक्र होकर किसी के साथ भी अपना यूपीआई आईडी शेयर कर सकते हैं।

इसका इस्तेमाल ऑनलाइन शॉपिंग में भी हो सकता है। इससे आपको डेबिट कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, सीवीवी कोड, ओटीपी आदि डालने की जटिल प्रक्रिया से छुटकारा मिल जाता है। इसकी जगह आप सिर्फ अपना यूपीआई आईडी डालेंगे और फोन पर आए अलर्ट मेसेज के जरिए ट्रांजेकशन को वेरिफाई कर देंगे।

इसके जरिए जिसे पैसा भेजा जा रहा है, उसका नाम, बैंक अकाउंट और आईएफएससी कोड जानने की जरूरत नहीं होती है। इसमें सिर्फ आपके पास मोबाइल रहना चाहिए।

इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इससे पैसे भेजने के साथ-साथ मंगा भी सकते हैं। इसके लिए आपको उन्हें एक एसएमएस भेजना होगा जिनसे पैसे मंगाना चाहते हैं।

यूपीआई आईएमपीएस का ही इम्प्रूव्ड वर्जन है। आईएमपीएस की तरह ही यूपीआई भी तुरंत और सालभर 24×7 पेमेंट की सुविधा देता है।यूपीआई को नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है जो देश में हर तरह के खुदरा भुगतान की देखरेख करता है।

इससे मोबाइल वैलेट रखने की प्रथा खत्म हो सकती है। यह कैशलेस इकॉनमी की दिशा में बढ़ा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।चूंकि, ट्रांजैक्शन्ज वेरिफाई करने के लिए फोन का इस्तेमाल होता है, इसलिए यह बहुत सुरक्षित भी है क्योंकि कोई दूसरा व्यक्ति आपका आईडी डालकर खर्च नहीं कर सकता।

 

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