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भारत से निजी तौर पर भी जुड़े थे फिदेल कास्त्रो

फिदेल कास्त्रो, इंदिरा गांधी के साथ भाई-बहन का रिश्ता, संयुक्त राष्ट्र संघ की 15वीं वर्षगांठfidel castro indira gandhi
फिदेल कास्त्रो, इंदिरा गांधी के साथ भाई-बहन का रिश्ता, संयुक्त राष्ट्र संघ की 15वीं वर्षगांठ
fidel castro indira gandhi

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को बड़ी बहन मानते थे कास्त्रो

क्‍यूबा/नई दिल्ली। अमेरिका से सीधे बैर मोल लेने वाले व लगभग पांच दशक तक क्यूबा पर राज करने वाले कम्‍युनिस्‍ट क्रांति के जनक पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो अब नहीं रहे। 90 वर्ष की उम्र में आज 26 नवंबर को उनका निधन हो गया। फिदेल कास्त्रो का भारत के साथ न सिर्फ सियासी बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी काफी गहरा रिश्ता रहा।

नेहरु-गांधी परिवार से उनकी नजदीकियों व विशेषकर पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ उनके भाई-बहन के रिश्ते के कारण भारत में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। इस रिश्ते को उन्होंने 1983 के नई दिल्ली में हुए गुटनिरपेक्ष सम्मेलन के एक लम्हे से यादगार बनाया था।

बात 1960 की है। मौका था संयुक्त राष्ट्र संघ की 15वीं वर्षगांठ का। दुनिया भर के चोटी के नेता न्यूयॉर्क में जमा थे। जब फिदेल कास्त्रो न्यूयॉर्क पहुंचे, तो वहां का कोई होटल उन्हें अपने यहां रखने को तैयार नहीं था।

एक दिन तो वह क्यूबा के दूतावास में रहे, पर अगले दिन उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से कहा कि मेरे व मेरे प्रतिनिधिमंडल के रहने का इंतजाम करें, वरना मैं संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में तंबू डालकर रहने लगूंगा। अगले दिन टेरेसा होटल उन्हें अपने यहां रखने को तैयार हो गया।

गांधी-नेहरू परिवार से थी काफी नजदीकी

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने बताया कि जब मैं कास्त्रो से मिला, तो उन्होंने मुझसे कहा, ‘क्या आपको पता है कि जब मैं न्यूयॉर्क के उस होटल में रुका, तो सबसे पहले मुझसे मिलने कौन आया? महान जवाहरलाल नेहरू। मेरी उम्र तब 34 साल थी। अंतरराष्ट्रीय राजनीति का कोई तजुर्बा नहीं था मेरे पास। नेहरू ने मेरा हौसला बढ़ाया, जिसकी वजह से मुझमें गजब का आत्मविश्वास जगा। मैं ताउम्र नेहरू के उस एहसान को नहीं भूल सकता।’

नेहरू से उस मुलाकात के बाद भारत के लिए फिदेल के मन में जो सम्मान पैदा हुआ, उसमें कभी कमी नहीं आई। पूर्व मंत्री माग्रेट अल्वा बताती हैं, ‘एक मुलाकात में फिदेल ने मुझसे पूछा, स्पेनिश लोग क्यूबा में न उतरकर भारत में उतरे होते, तो इतिहास क्या होता? मैंने छूटते ही जवाब दिया, तब फिदेल एक भारतीय होते। यह सुनना था कि फिदेल ने जोर से मेज को थपथपाया। बोले, यह मेरे लिए खुशकिस्मती की बात होती! भारत एक महान देश है।’

फिदेल कास्त्रो इंदिरा गांधी को हमेशा से अपनी बहन मानते थे। जब इंदिरा गांधी 1974 में गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों के सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही थीं, तब कास्त्रो ने उनके प्रति काफी सम्मान व्यक्त किया था।

उन्होंने जब 1974 के सम्मेलन में इंदिरा का भाषण सुना, तब कास्त्रो ने इंदिरा को शांति, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और विकास का गढ़ कहा था। इससे पहले कास्त्रो 1973 में भारत आए थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद उनके स्वागत के लिए दिल्ली में एयरपोर्ट पर पहुंची थी। कास्त्रो उस वक्त अपनी वियतनाम यात्रा पर थे।

1983 के मार्च मे विज्ञान भवन में सातवें गुट निरपेक्ष आंदोलन के उद्घाटन समारोह में 100 से भी अधिक राज्य प्रमुखों व सरकारों ने हिस्सा लिया था। उस वक्त कास्त्रो व इंदिरा गांधी मंच पर थे, सैकड़ों प्रतिनिधियों की नजर उनपर थी जिसमें ऐसे अग्रणी देश के दर्शक भी थे जो गुट निरपेक्ष आंदोलन के सदस्य नहीं थे, और मीडिया की भारी भीड़ थी।

फिदेल कास्त्रो ने विज्ञान भवन के मंच पर ही सरेआम इंदिरा गांधी को गले लगा लिया था। उस वक्त इंदिरा शर्मा गयी थीं। उनकी समझ में ही नहीं आया कि क्या करें लेकिन कास्त्रो इंदिरा को नेहरू की बेटी के रूप में देखते थे और अपनी बड़ी बहन मानते थे। उस पल पूरे हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। कास्त्रो का यही अंतिम भारत दौरा था।

वर्ष 2013 में अपनी क्यूबा यात्रा के दौरान भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो से मिले। उनसे भेंट के बाद उपराष्ट्रपति बताया कि वह तंदुरुस्त और स्वस्थ्य हैं। उस वक्त उन्होंने कास्त्रो से अपनी मुलाकात को क्यूबा यात्रा की सबसे महत्वपूर्ण बात करार दिया था।

अंसारी ने कहा कि यदि कोई आपसे 65 मिनट तक बात करता है तो वह सचमुच स्वस्थ्य है। उनकी 87 वर्ष की उम्र को देखते हुए उनका स्वास्थ्य काफी अच्छा है। वह कमजोर हो गए हैं, लेकिन उनकी मानसिक शक्ति अभी भी मजबूत है।

उन्होंने कहा कि मैंने आशा की थी कि बैठक 20-25 मिनट की होगी। लेकिन वह एक घंटा पांच मिनट चली। यह दिखाता है कि कास्त्रो का स्वास्थ्य बेहतर है और दुनिया में क्या चल रहा है वह उससे वाकिफ हैं। उनके विचार आज भी वही हैं जो पांच दशक पहले थे।

 

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