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बदलते मौसम के साथ आती है मौसमी एलर्जी

गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम, मौसमी एलर्जी, बचाव के लिए सतर्कता जरूरी, रोग प्रतिरोधक प्रणालीseasonal allergy
गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम, मौसमी एलर्जी, बचाव के लिए सतर्कता जरूरी, रोग प्रतिरोधक प्रणाली
seasonal allergy

नई दिल्ली| चाहे गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम हो या सर्दी से गर्मी, बदलते मौसम के साथ नाक बहना, आंखों में जलन और छाती जमना आम बात होती है। यह एलर्जी बहुत परेशान करने वाली होती है और अगर तुरंत इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है।

ऐसे में बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है। एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हेस्टामाइन निकलता है जो तेजी से फैल कर जलन वाले लक्षण पैदा करता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि इसके लक्षणों में जुकाम, आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपको किस चीज से एलर्जी है। तभी आप इससे बच सकते हैं और होने पर इलाज भी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इसकी पहचान करने के लिए कई किस्म के टेस्ट किए जाते हैं। स्किन टेस्टिंग जांच का सबसे ज्यादा संवेदनशील तरीका है, जिसके परिणाम भी तुरंत आते हैं। जब स्किन टेस्ट से सही परिणाम न मिलें, तब सेरम स्पैस्फिक एलजीई एंटी बॉडी टेस्टिंग जैसे ब्लड टेस्ट भी तब किए जा सकते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इसका सबसे बेहतर इलाज यही है कि जितना हो सके एलर्जी वाली चीजों से बचें। मौसमी एलर्जी बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभावित होने की ज्यादा संभावना होती है।

ऐसे करें बचाव :

  1. एलर्जी से बचने के लिए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक फैटी एसिड काफी मददगार साबित होते हैं। रेशा बनाने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, दही, प्रोसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें। अदरक, लहसुन, शहद और तुलसी एलर्जी से बचाव करते हैं।
  2. अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से एलर्जी है तो हाईपो एलर्जिक बिस्तर खरीदें।
  3. आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें।
  4. सीलन भरे कोनों में फफूंद और परागकणों को साफ करें।
  5. बंद नाक और साइनस से आराम के लिए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें।
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