Regional

नालंदा विवि के लिए केंद्र सकारात्मक कदम उठाए : नीतीश

नालंदा विवि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विश्वविद्यालय, कुलाधिपति जॉर्ज यो, त्यागपत्र, कुलाधिपति, पटनानीतीश

 

नालंदा विवि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विश्वविद्यालय, कुलाधिपति जॉर्ज यो, त्यागपत्र, कुलाधिपति, पटना
नीतीश

पटना| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जॉर्ज यो के त्यागपत्र देने एवं इससे संबंधित घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि नालंदा विश्वविद्यालय की बुनियादी बातों, इसकी विशिष्टता एवं मूल भावना को अक्षुण्ण रखते हुए केंद्र सरकार को सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। मुख्यमंत्री कार्यालय से शुक्रवार रात जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, नीतीश ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जॉर्ज यो के त्याग पत्र देने एवं इससे संबंधित घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “पूरे प्रकरण से विश्वविद्यालय किस दिशा में जा रहा है, इसे लेकर संशय का माहौल बन गया है।”

उन्होंने कहा कि यदि इस विश्वविद्यालय के गठन के समय से जुड़े सभी व्यक्ति इसे छोड़ देंगे तो ‘आईडिया ऑफ नालंदा’ की मूल भावना प्रभावित होगी।

उन्होंने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय की बुनियादी बातें, इसकी विशिष्ट प्रति एवं मूल भावना को अक्षुण्ण रखते हुए केंद्र सरकार को सकारात्मक कदम उठाने चाहिए, जिससे नालंदा के गरिमामय इतिहास को ²ष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय का और विकास हो सके।”

राज्य सरकार इसके सर्वागीण विकास के लिए पूर्ण रूप से प्रयासरत है। नीतीश ने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कार्रवाई करेगी।

मुख्यमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में अमर्त्य सेन एवं जॉर्ज यो के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का गठन बिहार सरकार की पहल पर किया गया था और इस विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक एवं अतंर्राष्ट्रीय महत्व है।

उल्लेखनीय है कि नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जॉर्ज यो ने अपने पद से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे के कारणों के विषय में एक बयान में कहा है कि गवर्निग बोर्ड को भंग करने का आदेश तथा एक नए गवर्निग बॉडी का लाना न सिर्फ उनके लिए, बल्कि लोगों के लिए भी आश्चर्यजनक है।

यो ने विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती बोर्ड सदस्यों को शुक्रवार को भेजे एक बयान में कहा था कि जिन परिस्थितियों में नालंदा विश्वविद्यालय में बोर्ड का पुनर्गठन अचानक और तत्काल किया गया, वह विश्वविद्यालय के विकास के लिए परेशानी पैदा करने वाला तथा संभवत: नुकसानदायक है।

=>
=>
loading...