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जीएसटी का ढाई साल से इंतजार था : राजगोपालन

राजगोपालन

राजगोपालनरीतू तोमर 

नई दिल्ली| देश में खुदरा उद्योग तेजी के साथ बढ़ रहा है। लेकिन इस क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं रही हैं, और ऐसे में जीएसटी इस उद्योग के लिए संजीवनी साबित हो सकती है।

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार राजगोपालन ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, “हम पिछले ढाई साल से जीएसटी का इंतजार कर रहे थे। जीएसटी का खुदरा उद्योग पर सकारात्मक असर पड़ेगा। फिलहाल, अलग-अलग राज्यों में माल बेचने पर अलग-अलग कर लगते हैं। इससे आपूर्ति श्रृंखला में खामियां आ गई हैं, जो जीएसटी लागू होने के बाद ही दूर होंगी।”

जीएसटी के बारे में राजगोपालन ने कहा, “जीएसटी की दर ज्यादा होगी तो इससे समस्या हो जाएगी। देश में हम ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ का नारा काफी समय से सुनते आ रहे हैं। यदि इन तीनों में कर की दर ज्यादा होगी तो दिक्कत हो जाएगी। सुनने में आया है कि कपड़ों में, विशेष रूप से ब्रांडेड कपड़ों में कर की दर बढ़ सकती है। यदि ऐसा हो गया है तो इसका आम आदमी पर असर पड़ेगा।”

वह कहते हैं, “आज ब्रांड नहीं हो तो ग्राहक का भरोसा उठ जाता है। ब्रांडेड और गैर ब्रांडेड में अंतर करना भी ठीक नहीं है। देश को अधिक से अधिक ब्रांड बनाने चाहिए। जीएसटी में ब्रांड के हिसाब से अंतर नहीं रखना चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई पहली बैठक में दरें तो तय नहीं हुईं, लेकिन छूट की सीमा 20 लाख रुपये तय की गई है।

इस बारे में कुमार कहते हैं, “देश में 50 प्रतिशत दुकानदार सही तरीके से करों का भुगतान नहीं करते हैं। अगर जीएसटी की दर बढ़ गई तो उसका पालन करना पड़ेगा। देश में काफी दुकानों पर बिल भी नहीं बनते हैं। यदि बिल नहीं बन रहे हैं तो टैक्स देने का सवाल ही नहीं उठता। टैक्स की दर कम रखनी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स भरें।”

देश में खुदरा में एफडीआई की नीति बहुत जटिल है। यदि आप एकल ब्रांड खुदरा व्यापारी हैं और विदेश में आपका ब्रांड पंजीकृत है तो आप देश में निवेश कर सकेंगे। हालांकि, उसके लिए आपको 30 फीसदी सोर्सिग करनी पड़ेगी, यानी आप भारत से 30 फीसदी माल खरीदेंगे। अगर आप विदेशी खुदरा व्यपाारी हैं तो आपको 70 फीसदी विनिर्माण करना है, तब जाकर आप बाहर से पूंजी ला पाओगे।

राजगोपालन कहते हैं, “समस्या यह भी है कि मल्टी ब्रांड में निवेश आ ही नहीं रहा, क्योंकि उसमें बहुत ज्यादा नियम-कानून हैं।”

वह आगे कहते है, “नियम मार्किटप्लेस के हिसाब से बन गए हैं। ई-कॉमर्स क्षेत्र के व्यापारी स्वयं को मार्किटप्लेस कहते हैं, लेकिन आप खुद का माल बेच रहे हैं और बोल रहे हैं कि आप रिटेलर नहीं हैं। ये ग्राहकों के आधार पर मूल्य बढ़ा रहे हैं। एफडीआई की नीति जटिल है। खाद्य क्षेत्र में एफडीआई में भी यही समस्या है।”

राजगोपालन ‘भारत ब्रांड’ को मजबूत करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “देश में कारोबार करने वालों को घरेलू और विदेशी पूंजी लाने में दिक्कत नहीं है। अगर 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति है तो जाहिर तौर पर इससे निवेश बढ़ेगा। एकल ब्रांड निवेश कर रहे हैं, लेकिन बहुल ब्रांड तो निवेश नहीं कर रहे हैं। मल्टी ब्रांड में कोई नहीं है। ई-कॉमर्स वाले बिजनेस कर रहे हैं, लेकिन वे खुद को रिटेलर नहीं मानते हैं। हालांकि, वे रिटेलर ही हैं।”

राजगोपालन इस क्षेत्र का भविषय उज्जवल बताते हैं, “खुदरा उद्योग का भविष्य अच्छा है। तकरीबन 600 अरब डॉलर का कारोबार 2020 तक 1,000 अरब डॉलर का हो जाएगा। ई-कॉमर्स से कारोबार बढ़ा है। उम्मीद है चार वर्षो में लगभग 70 फीसदी खुदरा व्यापारी ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी हो जाएंगे।”

वह कहते हैं, “सरकार सभी प्रांतों में साथ दे रही है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में आरएआई के साथ मिलकर खुदरा नीति बना दी है। इस नीति से जहां रोजगार बढ़ेंगे, वहीं दूसरी ओर सरकार का कर बढ़ेगा, जिससे जीडीपी का विकास होगा। देश में केंद्र में भी खुदरा नीति बनाने की जरूरत है।”

राजगोपालन ने काले धन के खिलाफ सरकार के अभियान की प्रशंसा की और कहा, “सरकार को ही नहीं, हर नागरिक को सजग रहना होगा। सभी दुकानदारों को उत्पाद की बिक्री पर बिल देना चाहिए।”

राजगोपालन का कहना है, “देश में फिलहाल खुदरा नीति तीन राज्यों में हैं। इस दिशा में उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित सात राज्यों में काम चल रहा है। सभी राज्यों में खुदरा नीति बनेगी तो इस क्षेत्र की ओर लोगों का ध्यान बढ़ेगा। खुदरा में नौकरियां बहुत हैं और अगर हम इस क्षेत्र को सपोर्ट नहीं करेंगे तो नौकरियां घट जाएंगी।”

राजगोपालन मोदी सरकार को कारोबार एवं रोजगार समर्थक बताते हैं, “सरकार ने कारोबार करना आसान बना दिया है। अभी तक किसी भी सरकार ने खुदरा नीति नहीं बनाई थी। मोदी सरकार ने तीन राज्यों में नीति बनाई है। हमें आगे बढ़ना है तो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना पड़ेगा और कारोबार आसान बनाना होगा, ताकि रोजगार बढ़े।”

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