नई दिल्ली। नोटबंदी द्वारा देश के अंदर कालेधन पर हमलावर केंद्र सरकार अब स्विस बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए कार्यवाही तेज कर रही है।
भारत ने पिछले महीनों में कम से कम 20 ‘प्रशासनिक सहायता’ से जुड़े अनुरोध स्विट्जरलैंड से किए हैं। सरकार ने टैक्स बचा कर इन बैंकों में पैसा जमा करने वालों की जानकारी मांगी है।
इस लिस्ट में कम से कम तीन लिस्टेड कंपनियां, रियल स्टेट का एक बड़ा नाम, दिल्ली के एक नौकरशाह की पत्नी, भारतीय मूल के दुबई में रहने वाले बैंकर और कुछ गुजराती बिजनसमैन के नाम हैं। इन संदिग्धों में से कई ने स्विस बैंकों में अकाउंट पनामा और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड के जरिए बना रखे हैं।
‘प्रशासनिक सहायता’ में किसी देश को अपने नागरिक द्वारा टैक्स चोरी करने का सबूत स्विट्जरलैंड को देना होता है। जिसके बाद स्विस प्रशासन उनका आकलन करने के बाद फेडरल गजेट जारी करता है।
स्थानीय कानूनों के मुताबिक संदिग्धों को अपने अकाउंट की जानकारी सार्वजनिक न होने देने के लिए अपील करने का एक आखिरी मौका मिलता है।